दोस्तों पॉलिटिकल और वॉर फिलॉसफी की बात करें तो दो किताबें ऐसी हैं जो पूरी दुनिया में बहुत मशहूर हैं इनमें से एक है लेजेंड द आर्ट ऑफ वॉर जिसे आज से 00 साल पहले मास्टर सुजु ने लिखा हजारों साल गुजरने के बाद आज भी यह किताब वॉर स्ट्रेटेजी में गोल्ड स्टैंडर्ड है दूसरी किताब है द प्रिंस बाय निकोलो मकवेली एक श्रूडेंट को अपनी स्टेट को कैसे गवर्न करना चाहिए लेकिन दोस्तों होल्ड ऑन एक तीसरी किताब भी है जो शायद द आर्ट ऑफ वॉर और प्रिंस जितनी फेमस तो ना हो लेकिन उसके अंदर मौजूद पॉलिटिकल फिलोसोफी बा कमाल है क्या आप गेस कर सकते हैं मैं किस किताब की
बात कर रहा हूं मैं बात कर रहा हूं अर्थशास्त्र की जिसे एक रिमार्क इंडियन फिलोसोफर जनाकिया ने [संगीत] लिखा लेकिन नाकिया थे कौन और उनकी यह किताब अर्थशास्त्र क्यों इतनी इंपॉर्टेंट है आज की वीडियो में इसी के बारे में बात करेंगे बाय द वे नाकिया को कतील और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है इंटरेस्टिंग बात यह है कि आज से 2300 साल पहले जब नाकिया जिंदा थे वो एक जबरदस्त यूनिवर्सिटी या लर्निंग सेंटर में पढ़ा करते थे जिसका नाम था तक्षशीला जानते हैं यह तक्षशीला आज वही शहर है जिसे टक्सला कहा जाता है और जो आज पाकिस्तान में मौजूद
है क्योंकि गवर्नमेंट और उसके स्ट्रक्चर को लेकर नाकिया के अंदर कमाल की जहान मौजूद थी लिहाजा उन्होंने तक्षा शीला को छोड़ा और पहुंचे पटाल पुत्रा जहां पर वह किंग धाना नंदा के एडवाइजर बने बिल आखिर किंग धाना से उनकी किसी बात पर कॉन्फ्लेट हो गया और उससे बदला लेने के लिए नाकिया ने एक ऐसे यंग बादशाह को ग्रूम करना शुरू किया जिसने उनकी एडवाइस मानकर इंडिया की हिस्ट्री की सबसे बड़ी एंपायर कायम की वह बादशाह कौन था और क्या नाकिया की पॉलिटिकल फिलॉसफी कामयाब थी इन दोनों अहम सवालों का जवाब मैं दूंगा आपको वीडियो के लास्ट में पहले यह देख लेते हैं कि नाकिया का आखिर
फलसफा क्या था और अर्थशास्त्र किस तरह एक रियासत एक स्टेट को चलाने के लिए एक बेहतरीन मैनुअल है देखिए सबसे पहले अर्थशास्त्र में चुना किय एक बहुत ही इंपॉर्टेंट सवाल का जवाब देते हैं यह सवाल पॉलिटिकल फिलॉसफी के अहम तरीन सवालों में से एक है क्वेश्चन बहुत सिंपल है एक रियासत यानी स्टेट का आखिर मकसद क्या है देखिए अर्थशास्त्र ना एक संस्कृत लब्ज है जिसका मतलब है मशत और हुक्मरान की साइंस यानी कि द साइंस ऑफ इकॉनमी एंड गवर्नमेंट यह किताब 15 किताबों पर मुश्त समि है और तकरीबन 6000 श्लोकों यानी कि अार पर मबन है नाकिया के नजदीक एक रियासत का सबसे अहम
मकसद यह है कि वह अपनी शहरी के खुशहाली और तहफ्फुज के लिए काम करें अगर आपने देखना है ना कि कोई भी स्टेट कोई भी मुल्क कोई भी रियासत कामयाब है या नहीं तो आपने सिर्फ यह पता लगाना है कि उस मुल्क के रहने वाले शहरी खुशहाल हैं या नहीं नाख्या के नजदीक रियासत का सिर्फ यह मकसद है कि वह अपनी शहरिया के अपने सिटीजंस की गुडविल का ख्याल रखें रियासत वही मजबूत कहलाए गी जिसके शहरी उससे खुश होंगे अगर शहरी मुल्क से नाराज हैं तो वह एक नाकाम मुल्क है क्या कमाल और जबरदस्त बात है कि नाख्या ने सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंस आवाम की गुडविल को
दी है रियासत की बात तो हो गई लेकिन इस रियासत में सबसे अहम किरदार होता है बादशाह का नाकिया अर्थशास्त्र में लिखते हैं कि एक बादशाह ही वह शख्स होता है जो लोगों के वेलफेयर उनकी सिक्योरिटी के लिए काम करता है लेकिन ऐसा करना हर शख्स के बस की बात नहीं है लिहाजा बादशाह उसी को सेलेक्ट करना चाहिए जिसके पास जबरदस्त नॉलेज हो स्किल्स हो और जो लोगों को लीड करना जानता हो लेकिन उनके मुताबिक सिर्फ इन पर्सनल क्वालिटी से बात नहीं बनती इससे पहले कि बादशाह किसी भी स्टेट को गवर्न करना शुरू करें उसे स्टेट क्राफ्ट के ऊपर ट्रेनिंग देनी चाहिए एक रियासत की मशीनरी
कैसे चलती है लोगों से काम कैसे करवाना होता है किसी भी स्टेट को चलाने के लिए सेल्फ डिसिप्लिन क्या होता है यह उस बादशाह को पहले सीखना होगा लेकिन नाकिया के लिए यह भी काफी नहीं था उनका कहना था कि एक बादशाह किसी भी मुल्क को अकेले गवर्न नहीं कर सकता अ सिंगल व्हील डज नॉट मूव लिहाजा किसी भी मुल्क को सही तरह चलाने के लिए एक बादशाह को एडवाइजर्स और मिनिस्टर्स की जरूरत पड़ती है उन्होंने कहा कि एक स्टेट ना एक चैरिटहम समझाना चाहते थे कि व कोई भी डिसीजन ऑटोक्रेटिक यानी कि आमरी की बेसिस पर ना ले बल्कि कलेक्टिव विजडम से काम लिया करें कोई भी बड़ा फैसला लेते हुए एक
बादशाह को अपने मिनिस्टर से अपने एडवाइजर से कंसल्ट करना चाहिए ताकि वह बेहतरीन फैसले तक पहुंच सके आज की दुनिया में द प्रिंस वो किताब है जिसे बड़ा इवल कंसीडर किया जाता है इनफैक्ट श्यूड और क्लेवर पॉलिटिशियन को मैकी अ वेलियन कहा जाता है लेकिन निकोलो मैकिया वैली से सैकड़ों साल पहले अर्थशास्त्र में नाख्या ने वो बातें लिखी जिनकी वजह से द प्रिंस बहुत मशहूर है नाकिया का कहना था कि द एंड जस्टिफाईज द मींस यानी कि किसी भी बादशाह के लिए इंपॉर्टेंट बात यह है कि वह जंग जीते अपनी टेरिटरी को विन करें उसके लिए वह कोई भी टैक्टिक्स इस्तेमाल कर सकता है सबसे पहले
तो व अपनी एनिमी को स्टडी करें उसके दुश्मन की क्या स्ट्रेंथ है क्या वीकनेसेस हैं यह उसको पता होनी चाहिए और एक वॉर जीतने के लिए एक बादशाह को हर किस्म के टैक्टिक्स अपनाने चाहिए तो चाहे वह कोई भी ट्रिक हो ब्राइबरी हो या फिर दुश्मन के दुश्मन से दोस्ती करना हो किंग हैज टू बी रथसप्तमी इंटेलिजेंस और एस्पिना के ऊपर जस्ट इमेजिन आज से 2000 साल पहले भी वो मिलिट्री इंटेलिजेंस की इंपॉर्टेंस को समझ गए थे नाकिया का कहना था कि एक बादशाह के पास इंटेलिजेंस का बहुत ही सोफिस्टिकेटेड नेटवर्क होना चाहिए एक बादशाह का इंटेलिजेंस नेटवर्क इतना तगड़ा
होना चाहिए कि उसे पता होना चाहिए कि उसकी जो नेबरिंग स्टेट्स हैं उनकी क्या पोजीशन है ताकि इस इंटेलिजेंस इंफॉर्मेशन की बेसिस पर वो बेहतरीन डिसीजन मेकिंग कर सके लेकिन मजे की बात देखें कि ना सिर्फ एक बादशाह के पास एक्सटर्नल इंटेलिजेंस होनी चाहिए बल्कि उनका लिखना था कि स्टेट के अंदर भी सोशल स्टेबिलिटी को बरकरार रखने के लिए इंटेलिजेंस का इस्तेमाल होना चाहिए उन्होंने अर्थशास्त्र में लिखा कि एक स्टेट की प्रोटेक्शन सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंस है जब स्टेट की बात आती है ना तो किसी भी किस्म की मोरालिटी किसी भी किस्म के खलाक यात को खातिर में नहीं लाना
चाहिए वो तो इस किताब में इस हद तक लिखते हैं कि अगर आपने रियासत को बचाना है ना और लॉ एंड ऑर्डर को मेंटेन करना है तो किसी को पॉलिटिकली एसिनेट भी करवाना हो तो करवा दो अब आपको पता लगा कि अर्थशास्त्र क्यों द प्रिंस की भी बाप है क्योंकि नाकिया वाज ऑबसेस्ड विद स्टेट क्राफ्ट लिहाजा फॉर हिम द इंपॉर्टेंस ऑफ स्टेट वाज अबब एनीथिंग एल्स इस किताब में उन्होंने टैक्स के निजाम के ऊपर भी बड़ी जबरदस्त एनालॉजी दी है उन्होंने लिखा कि टैक्स का निजाम ऐसा होना चाहिए कि आम आवाम के ऊपर ज्यादा बोझ ना पड़े इस बात को समझाने के लिए वो लिखते
हैं कि एक बादशाह को टैक्स ऐसे लेना चाहिए जैसे शहद की मक्खी फूल से रस लेती है बगैर उसे नुकसान पहुंचाए क्योंकि वो जान गए थे कि अगर टैक्स का निजाम तगड़ा होगा ना तभी स्टेट पावरफुल और स्ट्रांग होगी और इस टैक्स कलेक्शन से ही जुड़ी हुई है मशत यानी कि इकॉनमी नाकिया जानते थे कि स्ट्रांग इकॉनमी ही किसी मुल्क को सस्टेन कर सकती है लिहाजा उन्होंने इस किताब में लिखा कि मशत किसी भी रियासत की बुनियाद बनती है एक मजबूत मशत ही मजबूत फौज बना सकती है और यही मशत आवाम की खुशहाली का काम करती है यह नहीं कि फौज अमीर हो जाए और आवाम बेचारी रुल जाए देखिए दोस्तों मैंने हमेशा
आप लोगों को यह बात सिखाई है कि आपने किसी भी फिलॉसफी किसी भी इजम किसी भी मजहब की पोटेंसी देखनी है ना या उसका टेस्ट करना है तो आपने यह देखना होता है कि जिस सोसाइटी में वह फलसफा वह मजहब नाजिल हुआ या फॉलो हुआ उसने किस तरह का मुशरा क्रिएट किया नाकिया की बात करें तो उनकी पॉलिटिकल फिलॉसफी में बहुत दम था लेकिन आखिर में इस नतीजे पर कैसे पहुंचा इसकी सबसे बड़ी मिसाल है चंद्रा गुप्ता मौर्या चंद्रगुप्ता मौर्या ही वह बादशाह था जिसके एडवाइजर नाकिया बने और जिसने नाकिया की एडवाइस को मानते हुए किंग नंदा को हराया और मोरियन एंपायर का
कयाम किया मोरियन एंपायर वाज वन ऑफ द बिगेस्ट अंपायर्स इन द इंडियन सबकॉन्टिनेंट यहां तक कि चंद्र च गुप्ता मौर्य ने एलेक्जेंडर जैसे ग्रेट बादशाह का भी डट के मुकाबला किया चंद्रगुप्ता मौर्या नाकिया की ही एडवाइस को मानते हुए एक के बाद एक अपनी अंपायर को फैलाता चला गया लेकिन नाकिया की बदकिस्मती देखें कि चंद्रगुप्ता मौर्य का जो बेटा था ना बिंदु सरा उसने उनके ऊपर इल्जाम लगाया कि इन्होंने उसकी मां को जहर देकर मार दिया था तारीख का मुताल करें तो बिलखिरिया और नाकिया से माफी मांगी बट इट वास टू लेट टिल देन चौना किया क्योंकि
फलसफे शख्स थे लिहाजा उनके ऊपर यह जो इल्जाम लगा ना इसने उनको तोड़ के रख दिया एंड ही स्टड हिमसेल्फ टू डेथ अपने ही पसंदीदा बादशाह के बेटे के मुंह से इल्जाम सुनना उनको बिल्कुल ना भाया और वह तब तक भूखे रहे जब तक उनकी जान ना चली गई दोस्तों नाकिया की यह जो किताब है ना अर्थशास्त्र ये सिर्फ एक बुक नहीं है बल्कि ये कंप्लीट पॉलिटिकल फिलॉसफी है अगर आप वॉर फेयर यानी कि जंगी हिकमत अमली सस या मशत में दिलचस्पी रखते हैं तो यह किताब आपके लिए एक ट्रेजर है स्पेशली वो लोग जो स्टेट क्राफ्ट के बारे में जानना चाहते हैं वह नाकिया के इस मास्टर पीस से बहुत
कुछ सीख सकते हैं मैं कोशिश करूंगा कि फ्यूचर में इंडियन सबकॉन्टिनेंट के जो कमाल के फिलोसोफर थे उनके भी काम को कवर कर सकूं क्योंकि इस खिता में भी कमाल के फलसफे पैदा हुए हैं जिनके काम को पढ़ना बहुत जरूरी है मैं बचपन से द आर्ट ऑफ वॉर और प्रिंस पढ़ता हुआ आ रहा हूं दोनों बेहतरीन किताबें हैं लेकिन इस ट्रायंगल को कंप्लीट कर दिया है अ शास्त्र ने आई होप मेरी इस एक्सप्लेनेशन के बाद आप भी इस किताब को लाजमी पढ़ेंगे वीडियो पसंद आई हो तो लाइक बटन जरूर प्रेस कीजिएगा एंट नेक्स्ट टाइम गुड बाय