How To Keep Your Brain Sharp – منٹو کے متنازع افسانے

जनाब हमारा दिमाग शार्प होता है उतना ही हमारा लाइफस्टाइल बेहतर होता है और हम जिंदगी में क्वालिटी डिसीजंस ले पाते हैं इन पॉप्युलर कल्चर हमारे जहां के हवाले से बहुत सारी मिसकांसेप्सनस भी हैं जैसे की हम अपनी जिंदगी में अपने ब्रेन का सिर्फ 5 से 10 फीसद उसे करते हैं 40 साल की उम्र के बाद हमारा जहां डेटियोरोरेट होना शुरू हो जाता है एक दफा जब ब्रेन सेल्स मार जाएं तो वो परमानेंटली डिस्ट्रॉय हो जाते हैं और सबसे बड़ी बात ये की हम जिस दिमाग जिस इंटेलिजेंस के साथ पैदा होते हैं हम उसको मस्जिद डेवलप्स और नर्चर नहीं कर सकते यह

सब मिसकांसेप्सनस हैं जिसके बारे में हमें बताया डॉक्टर संजय गुप्ता ने अपनी जबरदस्त किताब की शॉप में इस बुक के थ्रू आप अपने ब्रेन को यंग हेल्दी और शार्प रख सकते हैं किसी भी आगे में हम लोग यूजुअली अपनी फिजिकल फिटनेस पर तो कम करते हैं लेकिन अपने ब्रेन को इग्नोर कर देते हैं हालांकि यह हमारी बॉडी का सबसे इंपॉर्टेंट अंग है यह किताब साइंटिफिक रिसर्च से भारी पड़ी है जिसमें डॉक्टर संजय गुप्ता ने बहुत से मिक्स को परमानेंटली डिस्ट्रॉय कर दिया है उन्होंने स्टेप बाय स्टेप तरीके बताए हैं जिनको फॉलो करके वीकेंड में कर ब्रेन शॉपर

इन फैक्ट जो aljaimarj डिजीज है जो अक्सर बुढ़ापे में लाख हो जाती है उसको भी प्रीवेंट करने के लिए बहुत ही इंपॉर्टेंट मशवरे दिए हैं इसके अलावा इस किताब में बहुत ही जबरदस्त 12 हफ्ते का ब्रेन ट्रेनिंग प्रोग्राम भी शामिल है जिसमें उन्होंने लाइफस्टाइल फिटनेस और डायट को कवर किया है इट्स अन ब्रिलिएंट वे तू नर्चर योर ब्रेन सो इफ यू वांट तू बी शॉप लीड कीप शॉप उर्दू की बात की जाए और सादात हसन मंटो का जिक्र ना किया जाए ये कैसे हो सकता है मंटो साहब उर्दू अफसाना निगड़ी के बेताज बादशाह हैं उनकी लिखाई में ऐसी जान है ऐसी हरारत है की पढ़ने वाला हिल के रह

जाता है मंटो साहब की शख्सियत को कुछ लोग mutanaja भी बना देते हैं क्योंकि अपने लिखाई में वो आश्चर्य के उन पहलुओं पर बात करते हैं जिस पर लोग आम हालत में बात करने से घबराते हैं ऐसे ही कुछ afshanon का मजमून है यह किताब मंटो के मुताज अफसाने वही अफसाने जिनकी बुनियाद पर मंटो साहब पर इल्जाम तशी की गई tankeet की गई वो आज उर्दू अदब की बेहतरीन tehriyon में शामिल होते हैं इसके किताब में कुल 67 अफसाने हैं जिम से हर एक से बढ़कर एक है मेरे पर्सनल फेवरेट की बात करें तो वो है खोल दो काली सलवार ठंडा गोश्त लाइसेंस और धुआं सिर्फ 44 बरस की उम्र में मंटो साहब का

इंतकाल हो गया इतनी कम उम्र में उन्होंने अपनी लिखाई के जरिए उर्दू अफसाने को जो ashloo वो सब गहराई तीखापन हकीकत पसंद ही और जरूरत का रंग दिया वो शायद उनसे पहले और उनके बाद कोई अजीब ना कर सका दोस्तों कराची पाकिस्तान की शहर ए गया इससे मोहब्बत बहुत करते हैं लेकिन देखने में अक्सर औकात इसकी तारीख से ना आश ना रहते हैं इसी बात को मद्देनजर रखते हुए मैंने आप लोगों के लिए एक बेहतरीन किताब सिलेक्ट की है जो कराची के माझी हाल और मुस्ताक बिल्कुल डिटेल में कवर करती है और इस किताब का नाम है कराची ऑर्डर डिसऑर्डर एंड स्ट्रगल फॉर डी सिटी और इसको लिखा है

लॉरेन घर ने ये किताब बेसिकली लॉरेन गियर की एचडी रिसर्च है जो उन्होंने कई साल कराची में रह कर कंडक्ट की इसीलिए खास बात इसकी यह है की जिस तरह से उन्होंने इस किताब को तरतीब दिया है जिस डिटेल में कम किया है ऐसा महसूस ही नहीं होता की कोई फौरन ऑथराइज बुक के पीछे इनफेक्ट इतने जबरदस्त तरीके से उन्होंने कराची के नॉनसेंस को समझा है जो शायद कराची वाले भी ना समझते हो इस किताब का बेहतरीन पार्ट वो सेक्शन है जिसमें उन्होंने कराची की तारीफ के बारे में बताया है जहां आज मॉडर्न कराची वाक्य है वहां पुराने waqton में एक मच्छरों की बस्ती हुआ करती थी जिसका नाम

था डिबो दर अरबी का लब्ज है जिसका मतलब है दरवाजा यही वजह है की अरब नेविगेटर कराची को गेटवे ऑफ हिंद कहा करते द एक और जबरदस्त बात कराची के बारे में जो मुझे इस किताब से पता लगी वो ये की वर्ल्ड वॉर 2 में जो अमेरिकन सोल्जर्स यहां पर पोस्टेड होते द उनको एक किताब चा दिया जाता था जिसका नाम था गाइड तू कराची उसमें लिखा हुआ था की कराची इतना साफ है की इट्स साइंस लाइक पेरिस ऑफ डी ईस्ट अमेरिकन जिसको क्लनेस सिटी इन इंडिया कहा करते द इन’टी रिएक्ट अमेजिंग कराची में बहुत पोटेंशियल है हमें सिर्फ इसको सही तरह से चैनेलाइज करने की जरूरत है अगर आप कराची

की एथनिक और पॉलिटिकल फॉल्ट लाइंस के बारे में जानना चाहते हैं तो लॉरेंट गर की यह किताब एक बेहतरीन रिसोर्स है दोस्तों शायद आपको याद हो की आपसे कुछ हफ्ते पहले मैंने मुमताज मुफ्ती साहब की एक जबरदस्त किताब अलीपुर का अली आप लोगों को रिकमेंड की थी इस किताब का दूसरा हिस्सा उन्होंने लिखा था इस किताब अलग नगरी की शकल में यह दोनों किताबें दरअसल मुफ्ती साहब की ऑटो बायोग्राफी के सवाने उमरी है अलीपुर का एली में मुफ्ती साहब ने अपने वालिद के साथ ताल्लुक और औरतों की नफसीयत पर फोकस किया था इस किताब अलग नगरी में उनकी तवज्जो maushar

थी मामलात और एक कमल की शख्सियत कुदरत उल्लाह शहाब पर है 1947 के बाद से उनकी वफात से कुछ साल पहले तक की जिंदगी इस किताब में मौजूद है muashre के तौर तरीके और रिवायत के साथ मुफ्ती साहब की जो बगावत थी वो अलग नगरी में खुल के सामने आती है जब आप अलख नगरी पड़ेंगे तो आपको अंदाजा होगा की मुफ्ती साहब बहुत ही aklot दानिश वाले शख्स द जो जिंदगी की हर चीज को muashre के हर पहलू को aklomantak से मापते द यही वजह है की हमारे mausharti ravaiyon के बारे में उनका नजरिया बड़ा मुख्तलिफ और outrejious था अलख नगरी का जो पहला हिस्सा है वो दर असल taslsul है

अलीपुर का अली का जिसमें वो तकसीम ए हिंद के vakiyat के बारे में बताते हैं दूसरे हिस्से में जैसा की मैंने आपको बताया वो अपने दोस्त कुदरत उल्लाह साहब का डिटेल में जिक्र करते हैं शहाब साहब की अब बात थी मुस्ताक बिल में उनके बारे में भी जरूर गपशप लगाएंगे देखें दोस्तों ये जो उर्दू अदब के stallwards हैं ना अशफाक अहमद बानो कुछ सिया मुमताज मुफ्ती कुद्रतुल्लाह साहब इनको ना पढ़ना हमारे लिए बहुत बड़ी बदकिस्मती होगी ये हमारे लिए वो खजाना छोड़ गए हैं जिससे मुस्तफिज हो के हम अपनी जिंदगी को बेहतर कर सकते हैं लिहाजा इनकी किताबें जरूर पढ़ा करें


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