दोस्तों आज से कुछ दिन पहले मैंने पाकिस्तान में मौजूद जो पीरी मुरीदी का कल्चर है उसके बारे में एक डिटेल्ड वीडियो बनाई थी। इस वीडियो में मैंने आपको बताया था कि किस तरीके से यह पूरा सिस्टम चलता है। किस तरीके से यह पीर आमतौर पे गरीब और मासूम लोगों को एक्सप्लइट करते हैं और किस तरह ये लोग मजहब का इस्तेमाल करके ना सिर्फ लोगों को बल्कि स्टेट को भी ब्लैकमेल करते हैं। आज हम इसी टॉपिक की मजीद गहराई में जाएंगे। ये समझने की कोशिश करेंगे कि आखिर ये पूरा सिस्टम चलता कैसे है? इसके रिचुअल्स क्या हैं? इन रिचुअल्स के जरिए किस तरह पैसे बनाए जाते हैं? बैथ
लेना किसे कहते हैं? हम इस पर भी बात करेंगे कि किस तरह यह पीरी मुरीदी सिस्टम लोगों को इमोशनली एक्सप्लइट करता है। इस सिस्टम में जो अलग-अलग पगड़ियों के रंग होते हैं उनका आखिर मतलब क्या है? आस्ताना असल में क्या होता है? पीर की महफिल में जाने के आदाब क्या होते हैं? सज्जादा नशीन कौन होता है? और इस पूरे सिस्टम की हायरार्की कैसे चलती है? सो आए अपनी आज की डिस्कशन का आगाज करें जो बहुत ही इंटरेस्टिंग है। इस वीडियो को भी आपने आखिर तक जरूर देखना है। जिन लोगों ने पार्ट वन नहीं देखा वो पार्ट वन भी जरूर देखिएगा। एंड पीपल हु हैव ऑलरेडी सीन इट
दे कैन कंटिन्यू। दोस्तों कभी आप किसी पीर बाबा के मजार पर गए हैं? अगर नहीं तो चले आए मैं आपको लेकर चलता हूं। अक्सर मजारात पर आपको इस तरह के मनाजिर नजर आएंगे। [संगीत] लोग पीर बाबा की कब्र पर झुक कर दुआएं मांग रहे होंगे। मजार पर कवालियां पढ़ी जा रही होंगी। कुछ लोगों को वजह भी तारी हो गया होगा। [संगीत] और वो इसी ट्रांस में झूम रहे होंगे। [संगीत] लोग बाबा जी की कब्र पर चादरें डाल रहे होंगे, फूल डाल रहे होंगे। [संगीत] पीर बाबा जिंदाबाद के नारे भी लग रहे होंगे। दिखने में तो यह सारी एक्टिविटीज आपको बहुत स्पिरिचुअल लगेंगी। लेकिन इन
सबकी बुनियादों में, इसकी फाउंडेशन में, इसकी नीव में एक ही चीज है और वो है इकोनॉमिक्स यानी के पैसा। मैंने आपको लास्ट वीडियो में भी बताया था कि यह जो पूरा सिस्टम है ना इसके पीछे कहीं ना कहीं पॉलिटिक्स है, लैंड है और पैसा है। दरबार पर आने वाला मुरीद अपनी पूरी अकीदत से वहां पर हाजिरी देता है। लेकिन इस अकीदत के पीछे पैसे की भी इन्वॉल्वमेंट है। अब वो पैसा चादर खरीदने की सूरत में हो, फूल खरीदने की सूरत में हो या फिर चंदे की सूरत में। अगर पीर बाबा जिंदा है ना तो उनके हाथों में भी पैसे थमाए जाते हैं और अगर वह इंतकाल कर गए हैं तो दरबार में यह
पैसे जमा किए जाते हैं। इसी पैसे के इर्द-गिर्द सारी कहानी घूमती है। पीर का इनफ्लुएंस बढ़ता है और वो अपने इलाके में किसी बिजनेस, किसी नौकरी ना करने के बावजूद शायद सबसे पावरफुल और वेल्थी इंडिविजुअल होता है। पैसे के अलावा रिचुअल्स की बात की जाए तो इन बाबों के आस्तानों पे एक रस्म होती है जिसे कहते हैं बैथ लेना। बैत अरबी जबान का लफ्ज है जिसका मतलब है किसी शख्स ग्रुप या पार्टी के साथ वफादारी का प्रॉमिस करना या फिर किसी एक अथॉरिटी को एक्सेप्ट करना। बैत लेने का मतलब यह है कि आपने उस बाबे के हाथ पे हाथ रख के यह हर्फ लिया है कि आप
हमेशा उसकी तरफ वफादार रहेंगे। वो बाबा आपको जो भी इंस्ट्रक्शंस देगा आप उसे फॉलो करेंगे और दुनियावी और रूहानी मामलात में उसकी मदद हासिल करेंगे। बैत लेने के ना अलग-अलग तरीके होते हैं। कुछ जगहों पर पीर अपने मुरीद के सर पर हाथ रख के उसे दुआ देता है। कुछ कलमात पढ़ता है और उसी वक्त मुरीद इस बात का इरादा कर लेता है कि अब उसकी जिंदगी इस पीर के हवाले है। अक्सर औकात यह बैत पीर के हाथ पे भी ली जाती है। होता यह है कि एक मुरीद अपना हाथ पीर के हाथ के ऊपर रख देता है और उसे अपना मुर्शद या फिर स्पिरिचुअल लीडर मान लेता है। बस
एक बार किसी मुरीद ने पीर की बैत ले ली ना तो फिर उसकी जिंदगी बदल जाती है। वह मुरीद बगैर कोई सवाल उठाए पूरी उम्र उस पीर की बात मानता है। बैत लेने का मतलब यह भी होता है कि उस एक पीर के अलावा पूरी दुनिया में कोई भी ऐसा शख्स नहीं है जिसको वो मुरीद फॉलो करेगा। उस मुरीद की जिंदगी के अब तमाम मसले उस पीर ने ही हल करने हैं। पीर की किसी भी हरकत पे अगर मुरीद को शक हो तो वो अपने दिल को दिलासा देता है कि यह बाबा बहुत बड़ा शख्स है। यह बहुत पहुंचा हुआ बाबा है। यह तो वली उल्लाह है। लिहाजा वो जो कुछ भी करेगा वो ठीक होगा। दोस्तों, यह बैत लेना ना दरअसल उस मुरीद
के लिए एक साइकोलॉजिकल ट्रैप होता है। जिसके बाद सारी उम्र के लिए वह अपनी सोच, अपना थॉट प्रोसेस, अपनी शख्सियत पीर के हवाले कर देता है। दूसरा यह कि बैत लेने के बाद ना एक मुरीद की कुछ रिस्पांसिबिलिटीज होती हैं। सबसे पहले जब कोई राज उस मुरीद को बताया जाए तो वो उसको अपनी तरफ सबसे बड़ी अमानत समझे। दूसरी बात यह कि उसे मुर्शद से जो भी तालीम हो, चाहे वो किसी भी हवाले से हो, वो उसे बगैर सवाल के एक्सेप्ट कर ले। तीसरी रिस्पांसिबिलिटी उस मुरीद की यह होती है कि ना सिर्फ पीर बल्कि उसके फैमिली मेंबर्स की तरफ भी उसको एहतरामन पेश आना है। क्योंकि उस पीर का
उसके फैमिली मेंबर्स से खून का रिश्ता है। और इस पूरे सिस्टम में ना दोस्तों ब्लड लाइन की शायद सबसे ज्यादाेंस है। दूसरा बहुत ही फेमस रिचुअल है धागा बांधना। आपने देखा होगा कि हर मजार में एक दीवार होती है जिसमें लोहे की जालियां लगी होती हैं और लोग जाकर उस पर धागा बांधते हैं। यह धागे असल में दुआओं और मन्नतों को सिंबलाइज करते हैं। मुरीदैन का यह मानना होता है कि अगर आपके दिल में कोई ख्वाहिश है या कोई मन्नत है तो आप जाकर मजार पर धागा बांधे। इससे आपकी वो मन्नत पूरी हो जाएगी। आपने यह भी ऑब्जर्व किया होगा कि अक्सर औकात लोग अपने हाथों पर भी धागा
बांधते हैं। हाथ पर धागा बांधने का मतलब यह होता है कि वह अपने आप को सारी ईवल फोर्सेस से, सारे शयातीन से प्रोटेक्ट कर रहे हैं। ऐसे लोगों का इस बात पर ईमान होता है कि उनके हाथ में बंधा यह जो धागा है ना यह उनको सारी सुपर नेचुरल फोर्सेस से बचाएगा। इसीलिए आपको लोगों के हाथों में रंग बिरंगे धागे नजर आते होंगे। लेकिन इंटरेस्टिंगली इसका जो कलर कोड है ना यानी कि इन धागों के जो कलर्स हैं इनके भी अलग-अलग मीनिंग्स हैं। रेड धागे का मतलब है किसी इंसान की मोहब्बत पाने या उससे शादी करने की मन्नत मांगना। ग्रीन धागा लाइफ में बरकत और सुकून पाने के लिए बांधा
जाता है। वाइट धागा इसलिए बांधा जाता है ताकि एक शख्स गुनाहों से दूर रहे और अपनी पाकीजगी बरकरार रखे। शायद इन सब धागों में से काला धागा सबसे ज्यादा मशहूर है। काला धागा मुरीद को इवल फोर्सेस से, जिन्नात से, नजर से और शैतान से बचा के रखता है। इसी तरह आपने अलग-अलग पीरों और उनके मुरीदैन के सरों पे डिफरेंट कलर की पगड़ियों को भी नोटिस किया होगा। लेकिन सवाल यह है कि ये लोग पगड़ियां क्यों पहनते हैं? और इनके जो कलर्स हैं वो क्या सिंबलाइज करते हैं? देखिए जब आप यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट होते हैं ना तो आपको एक ग्रेजुएशन कैप और गाउन पहनाया
जाता है। आपकी कॉन्वोकेशन सेरेमनी होती है। इसी तरह लोग जब अपनी इस्लामिक एजुकेशन कंप्लीट करते हैं तो उनकी भी एक सेरेमनी होती है जिसमें उन्हें पगड़ी बांधी जाती है। इस इवेंट को दस्तारबंदी कहा जाता है। यह इवेंट कई मदारिस और इस्लामिक इंस्टीटशंस में कंडक्ट किया जाता है। इन तमाम इंस्टीटशंस के ना अलग-अलग कलर कोड हैं। मसलन अगर कोई पीर और उसके फॉलोवर्स ग्रीन रंग की पगड़ी पहनते हैं ना तो इसका मतलब ये है कि उनका ताल्लुक कादरी सिलसिले से है। अक्सर औकात चिश्ती सिलसिले के लोग भी ग्रीन रंग की पगड़ी बांधते हैं। इसी तरह काली पगड़ी कलंदरी सिलसिले के लोग
बांधते हैं। सफेद पगड़ी वाले लोग अक्सर नक्शबंदी सिलसिले से ताल्लुक रखते हैं। इसी तरह आपको ऑरेंज या जाफरानी कलर की पगड़ी भी नजर आएगी। इन लोगों का ताल्लुक भी अक्सर बरेलवी सिलसिले से होता है। पगड़ी के अलावा आपने इन पीरों के हाथों में बहुत ही महंगी और अलग-अलग तरह की अंगूठियां भी देखी होंगी। इन अंगूठियों के अंदर बहुत ही महंगे स्टोंस जड़े हुए होते हैं। आम लोगों के लिए तो शायद खूबसूरती के लिए वो पत्थर हैं। लेकिन उस पीर और उसके मुरीदों के लिए इस अंगूठी का उनकी जिंदगी में बहुत ही अहम रोल है। अगर आपने कभी किसी पीर या बुजुर्ग के हाथ में लाल रंग
का स्टोन देखा है तो यकीनन वो याकूद होगा। एक बहुत ही प्रेशियस स्टोन जो दुनिया में रूबी के नाम से फेमस है। दिखने में तो यह एक खूबसूरत सा लाल रंग का रूबी का पत्थर है। लेकिन उस पीर और उसके मुरीदैन के लिए यह सिंबलाइज करता है करज और पैशन को। यह लोग समझते हैं कि इस लाल रंग के पत्थर को उंगली में पहनने से उनके रिज़्क में बरकत आएगी। बेवकूफी की इंतहा देखें कि उन्हें लगता है कि इस रूबी के लाल रंग के पत्थर को उंगली में पहनने से अगर उन्हें कोई हार्ट डिजीज होगी या कोई ब्लड का कोई मसला होगा तो वह खत्म हो जाएगा। आपने स्काई ब्लू या जिसे आम अल्फाज में फिरोजी कहते
हैं उस रंग की भी अंगूठी देखी होगी। यह ईरानी स्टोन है जिसे टर्कॉइस भी कहा जाता है। लेकिन हमारे यहां इसे फिरोजा कहते हैं। इस रंग की अंगूठी पीर इसलिए पहनते हैं क्योंकि यह अंगूठी उन्हें बुरी नजर और हसद से बचाती है। अंगूठियों के पीछे क्या साइकोलॉजी है? क्या गेम है? इसके ऊपर तो एक अधा डिस्कशन बनती है। खैर, अगर बाकी रिचुअल्स को एक्सप्लेन करने की बात करें तो उससे पहले मुझे आपको इनका बिजनेस मॉडल समझाना होगा। आपको पिछली वीडियो में मैंने यह जो सिलसिले का वर्ड है ना यह समझाया था कि आखिर इसका मतलब क्या है? हर पीर यही चाहता है कि जब उसका इंतकाल हो जाए, जब वो
इस दुनिया से चला जाए, तो उसका बेटा ही उसकी गद्दी संभाले। इस फिनोमिना को हम लोग गद्दी नशीनी भी कहते हैं। इस ख्वाहिश को पूरा करने के लिए पीर कई शादियां भी करता है ताकि उसके घर लड़के की पैदाइश हो सके। इन रियलिटी इस गद्दी नशीनी के पीछे कोई स्पिरिचुअल रीज़न नहीं होती। कोई लोगों की भलाई का मकसद नहीं होता। इसके पीछे मकसद होता है तो सिर्फ एक और वह यह कि अपने बिजनेस, अपने कारोबार, अपने दरबार की इकोनॉमिक्स को चलाते रहना। पहले पीर होता है, फिर उसका बेटा सज्जादा नशीन, गद्दी नशीन बन जाता है। फिर उसका बेटा और फिर इसी तरह सदियों तक यह खानकाही निजाम चलता
रहता है। एक और चीज आप लोगों ने नोटिस की होगी कि ये जो पीर बाबा होते हैं ना यूजली इनके नाम बहुत ज्यादा लंबे होते हैं। लेकिन कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों है? इसकी बहुत ही सिंपल रीजन होती है कि यह लोग अपने एनसेेस्टर्स यानी कि आबाओ अजदाद के नाम अपने साथ एसोसिएट रखना चाहते हैं। मसलन अगर हजारों साल पहले कोई एक सूफी बुजुर्ग ऐसा होगा जिसके बहुत से फॉलोअर्स होंगे और उसका एक इन्फ्लुएंस होगा तो उसकी आने वाली सात पुश्तें उसका नाम अपने नाम के साथ लगाती रहेंगी ताकि उनकी पहचान भी उसी पीर बाबा के नाम से हो। लेकिन मेरे प्यारे बुक बबडीज मैंने हमेशा यह आपको बात
सिखाई है ना कि आपने ह्यूमंस की जो डीप डार्क साइकोलॉजी है ना उसको समझना होता है। यह नाम तो सिर्फ एक बहाना है। इसके अंदर जो सारी कहानी है ना वो यह कि इस नाम से एसोसिएटेड है यह बिजनेस ये कारोबार। अगर यह नाम नहीं तो फिर यह कारोबार भी नहीं। हर पीर यही चाहता है कि लोग समझे कि वह किसी अजीम बुजुर्ग का रूहानी वारिस है। वह उसी कदीम सिलसिले का हिस्सा है जो पिछली सदियों से चलता हुआ आ रहा है। पिछली वीडियो में मैंने आपको बताया था कि इंडोपाक के रीजन में ना चार बड़े सिलसिले हैं। चिश्ती, नक्शबंदी, कादरी और सुहरवर्दी। इनके अंदर भी ना सब ब्रांचेस
हैं। यह तमाम अपने सूफी बुजुर्गों का जिक्र करते हैं और अपनी स्पिरिचुअल लीनेज उन्हीं से एसोसिएट करते हैं। देखिए दोस्तों, पाकिस्तान में जो मजारात है ना, इनमें सबका अलग-अलग नेटवर्क होता है। यहां हर जुमेरात महफिल लगती है, कवालियां होती हैं। लंगर बांटा जाता है और लोग बड़े ही जोशो जज्बे से इन मजारात पर हाजिरी देते हैं। लोगों का यही जोशो जज्बा किसी भी पीर और उसकी फैमिली को हमेशा फाइनेंसियली स्ट्रांग रखता है। हर उर्स, हर महफिल, हर दुआ का जो सेशन होता है ना, उसमें सबसे इंपॉर्टेंट चीज होती है डोनेशंस। आप यह समझ लें कि ये जो सारे इवेंट्स होते हैं
ना, यह दरअसल फंड रेजिंग के लिए ही करवाए जाते हैं। बेचारे भोले लोग, अनपढ़ लोगों को पूरी जिंदगी यह समझाया जाता है कि जब वो किसी पीर बाबे के मजार पर जाएंगे तो उन्हें सवाब मिलेगा। उनकी मुरादे, उनकी मन्नतें पूरी होंगी। सारी उम्र वो इसी भ्रम में रहते हैं और इस बात को रियलाइज ही नहीं करते कि उन्हें उस पीर की नहीं बल्कि दरअसल उस पीर को उनकी जरूरत है। मुरीदैन समझते हैं कि अगर वो पीर को खुश रखेंगे, उसके दस्त से दुआएं करवाएंगे या कुछ पैसे उसे दे देंगे तो उनकी मन्नत पूरी हो जाएगी। लेकिन ना मन्नत पूरी होती है और ना उन गरीब लोगों के हालात बदलते हैं। इन
इवेंट्स के अलावा ना इन पीरों के अपने आस्ताने भी होते हैं। आस्ताना एक ऐसी जगह को कहते हैं जहां पर पीर बैठता है और अपने मुरीदैन के ऊपर दम दुरुद करता है। उनसे कनेक्ट होता है। उनसे बातचीत करता है। आप यह समझ लें कि ये जो आस्ताना है ना यह दरअसल एक पीर का ऑफिस है। इसी आस्ताने के ऊपर जब उस पीर का इंतकाल होता है तो दरबार बनाए जाते हैं। इसी आस्ताने से उस पीर के सज्जादा नशीन की सिलेक्शन होती है। और फिर यही आस्ताना उस पीर से मुलाकात के लिए लोगों के लिए एक मरकज बन जाता है। इन आस्तानों के ऊपर लोगों की लंबी कितारें लगी होती है। लोग पीर बाबा से दम करवाने
आते हैं। उससे दुआएं करवाने आते हैं। उसे पैसों के बदले अपनी मन्नतें पूरी करवाने आते हैं। देखिए दोस्तों इस आस्ताने के या पीर से मुलाकात के भी कुछ रूल्स होते हैं। जब भी कोई मुरीद किसी पीर के पास हाजिर होता है तो झुक के सलाम करता है। उसके हाथों को चूमता है। यह हाथों को चूमना इस बात की अलामत है कि वह मुरीद अपने पीर की बहुत ज्यादा रिस्पेक्ट करता है। उसके दिल में उसके लिए बहुत ज्यादा अकीदत है। इस पीर के पास अगर कोई बीमार शख्स आता है तो वो उसके ऊपर दम करता है। बहुत से लोग यह मानते हैं कि जब वो पीर कलाम पढ़कर उनके ऊपर दम करके फूंक मारता है ना तो उससे
उनके गुनाह भी झड़ जाते हैं। दोस्तों ये दम दुरुद तो ठीक है लेकिन इस पीर के पास जो सबसे लीतल हथियार है ना वो है तावीज़। तावीज एक छोटी सी लॉकेट या कागज पर लिखा हुआ कलाम होता है जिसे लोग हिफाजत या नजर से बचाव के लिए अपने गले में डाल लेते हैं। ज्यादातर तावीजों में कुरानी आयात, दुआएं या कुछ खास कलमात लिखे होते हैं। यह लिखकर कपड़े, चमड़े या मेटल के कवर में बंद कर दिए जाते हैं। और फिर इस तावीज को गले, बाजू या कमर में पहन लिया जाता है। कुछ तावीज पीने के लिए भी दिए जाते हैं। यानी कि उस कागज के ऊपर कुछ कलमात लिखे होते हैं। और फिर उसको पानी में घोल के
पीना होता है। जितनी बड़ी मुश्किल उतना मुश्किल तावीज और जितना मुश्किल तावीज़ उतनी बड़ी रकम। कभी कबभार यह पीर लोगों को वजाइफ पढ़ने के लिए भी देते हैं। इन वजाइफ में यूजली होता यह है कि वो लोगों को बताते हैं कि इस आयात को इतनी दफा पढ़ो तो शिफा मिल जाएगी। या फिर कोई फला वर्ड, किसी फला दिन, किसी स्पेसिफिक टाइम पर पढ़ा जाए तो तुम्हारी मुश्किल आसान हो जाएगी। यह लोग वजाइफ के लिए लोगों को इतना पाबंद करते रहते हैं कि हर वक्त लोगों के मुंह चलते रहते हैं। इस एक्सपेक्टेशन में कि इस वजीफे के जरिए वह जिंदगी में कामयाब हो जाएंगे। दोस्तों, यह वजीफा और तावीज
गंडाना पूरी एक इंडस्ट्री है। इन वजीफों और तावीजों ने ही पाकिस्तान के लोगों की जो नफ्सियात है ना, उनको अपने काबू में रखा हुआ है। इन्हीं से जादू टोने का आगाज होता है जिसमें बेचारे गरीब और मिसकीन लोग फंस के रह जाते हैं। मेरी दोस्तों जो अगली वीडियो है ना वो ब्लैक मैजिक के ही बारे में है। जिसमें मैं फाइनली आपको बताऊंगा कि ये जो सारी ड्रामेबाजी है जादूगरी की। इसके पीछे क्या हकीकत है। एनीवेस हम लोग आस्ताने के जो रूल्स एंड रेगुलेशन्स है ना उनके बारे में बात कर रहे थे। इसका एक और रूल यह है कि जब भी कोई मुरीद अपने पीर के
साथ मुलाकात को खत्म करता है ना तो वह कभी भी अपनी बैक पीर की तरफ करके वापस नहीं जाता। वो हमेशा उल्टा चल के कमरे से बाहर निकलता है। क्योंकि लोग यह समझते हैं कि किसी पीर या उसकी कब्र को अपनी पीठ दिखाना उसके लिए डिसरिस्पेक्टफुल है। अजीब मंजर होता है जब पीर से मुलाकात के बाद मुरीदैन उल्टे पांव अपने घर वापस जा रहे होते हैं। जब इस तरह की सोच होगी तो ज़हन तो बंद होंगे ना। आप क्या एक्सपेक्ट करते हैं कि इस तरह की सोच के साथ हमारे मुल्क में लोग कोई नवेल काम करेंगे, कोई बड़ा काम करेंगे, कोई साइंटिफिक काम करेंगे। दिस विल नेवर हैपन। और अब बात करते हैं इस
पूरे सिस्टम की एक बहुत ही इंपॉर्टेंट कड़ी का जिसमें शामिल होता है एक पीर और एक औरत। हर आए दिन इस तरह के केसेस रिपोर्ट होते हैं कि किसी पीर ने औरत के साथ ज्यादती कर दी। यह देखें यह कराची के अस्पताल की ना एक बच्चे की तस्वीर है। इस बच्चे के हाथों पर ना पीर ने कुछ लिखाई की हुई है। इस लिखाई को करने का मकसद यह था कि इस बच्चे की तबीयत ठीक हो जाए। लेकिन दोस्तों जब इन्वेस्टिगेशन की गई तो पता लगा कि इस पीर ने उस बच्चे की मां के ब्रेस्ट के ऊपर भी इस तरह की लिखाई की हुई है। जब उससे पूछा गया कि ऐसा उसने क्यों किया? तो उसने कहा कि ऐसा करने से इस मां
के ब्रेस्ट में दूध की जो मिकदार है ना, वह बढ़ जाएगी। इमेजिन यह हालत है हमारे लोगों की। यह देखें यह 2017 की न्यूज़ है। पुलिस अरेस्ट एजे के फेथ हीलर अक्यूज्ड ऑफ रेपिंग ब्लैकमेलिंग वुमेन फॉलोअर्स। यह पीर औरतों का रेप करता था और ना सिर्फ रेप करता बल्कि उनकी वीडियोस भी बनाता। जिसके बाद वो औरतों को ब्लैकमेल किया करता था। और यह सब कुछ वो करता था अपने आस्ताने पर। यह देखें यह 2013 की न्यूज़ है। 4 साल की बच्ची फोर ईयर ओल्ड सेक्सुअली असॉल्टेड बाय अ क्लेरिक। यह विहड़ी का वाक्या है जिसमें एक 4 साला बच्ची जिस दिन वह उस कारी के पास पढ़ने गई उसी दिन उसका रेप हो
गया। यह देखें यह पिछले साल यानी कि 2024 का वाक्य है। फेथ हीलर इन फैसलाबाद अरेस्टेड फॉर रेप ऑफ फॉलोअर्स डॉटर यानी कि अपने मुरीद की बेटी का उसने रेप कर दिया। यह देखें यह इस साल का वाक्या है। स्पिरिचुअल हीलर अक्यूज्ड ऑफ अटेम्प्टेड रेप फ्रॉड। यह वाला जो पीर था ना, यह औरतों को अपने पास बुलाया करता था कि अगर तुम्हें बच्चा चाहिए यानी कि लड़का चाहिए ना, तो मेरे पास आके यह सेब ले लो। इस सेब को खाने से तुम्हारे यहां बच्चा हो जाएगा। इस तरह के दर्जनों वाक्यात मिल जाएंगे आपको पाकिस्तान की सोसाइटी में जहां पर लोग इन पीरों के हाथों ब्लैकमेल होते हैं
और ना सिर्फ अपने पैसों बल्कि इज्जत से भी हाथ धो बैठते हैं। देखिए दोस्तों ये बात भी याद रखें कि सब पीर ऐसे नहीं होते। इनमें से जो नोटोोरियस होते हैं वो इस तरह की हरकतें करते हैं। गांव के लोगों की जो औरतें होती हैं ना उनके ऊपर सबसे बड़ा प्रेशर यह होता है कि उनके यहां किसी लड़के की पैदाइश हो। और जब ऐसा नहीं होता तो वह किसी पीर बाबे के चक्कर में फंस जाती हैं। जो उससे वादा करता है कि वह उसके साथ एक ऐसा अमल करेगा जिसके बाद उसके यहां लड़के की पैदाइश हो जाएगी। यह तो सिर्फ एक रीजन है। इसके अलावा बेतहाशा रीज़ंस होती हैं। फैमिली डिस्प्यूट्स होते
हैं। कोई पर्सनल मैटर्स होते हैं जिनको एक्सप्लइट करके एक पीर किसी औरत के साथ सेक्सुअल एक्सप्लॉयटेशन करता है। इन पीर बाबों की इन लोगों के ज़हनों पर साइकोलॉजिकल ग्रिप इतनी स्ट्रांग होती है कि वो जो भी कहते हैं इन लोगों को करना पड़ता है। सो दोस्तों ये तो थी इस पूरे सिस्टम के ऊपर मेरी तरफ से एक और ब्रीफिंग। आखिर में मेरा आपको मैसेज यह है कि यार इन पीर बाबों के चक्करों में मत फंसा करें। अपने ऊपर ईमान रखें। अपने हार्ड वर्क के ऊपर बिलीव रखें। अगर आपने जिंदगी में कुछ हासिल करना है, कुछ पाना है ना तो वो हमेशा आपकी मेहनत से हासिल
होगा। यह तावीज, गंडे, ये वजीफे आपके कभी भी काम नहीं आएंगे। अगर आप लोगों ने वाकई अपनी तकदीर बदलनी है, अपनी जिंदगी को चेंज करना है ना तो वो किसी पीर बाबे के मुरीद बनके नहीं होगा। बल्कि वो होगा आपके जोरे बाजू से, आपकी विल पावर से, आपकी डिटरमिनेशन से, आपकी कंसिस्टेंसी से और आपके हार्ड वर्क से। यह बातें मेरी लिख लीजिएगा। अंटिल नेक्स्ट टाइम गुड बाय।
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