Baarish by Manto – بارش اور ادھوری محبت

दोस्तों बारिश भी एक कमाल की चीज है। यह इंसान के अंदर कुछ ऐसे जज्बात पैदा करती है जो कोई और मौसम पैदा नहीं करता। ना सिर्फ जमीन पर बल्कि कभी-कभी इंसान के दिल पर भी वार करती हैं। ऐसे में बारिश से एसोसिएटेड आपके बहुत से जज्बात होंगे। कुछ लोग बारिशों में बहुत खुश होते हैं, कुछ लोग जज्बाती हो जाते हैं और बहुत से लोगों को कुछ ऐसी पुरानी कहानियां याद आ जाती हैं जो उनके दिल के दर्द को दोबारा जिंदा कर देती है। लेकिन कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि बारिश का खुशगवार मौसम हो और आपकी एक ऐसी खूबसूरत लड़की से मुलाकात हो जाए जो आपके दिल के पुरजे हिला के रख दे। आज

की जो हमारी मंटो कहानी है उसमें एक शख्स तनवीर की ऐसी ही एक लड़की से मुलाकात होती है। लेकिन हमेशा की तरह इस कहानी के एंड में इसके इख्तताम में एक ऐसा ट्विस्ट है जो तनवीर को हिला के रख देता है। मूसलाधार बारिश हो रही थी और वो अपने कमरे में बैठा जलतल देख रहा था। बाहर बहुत बड़ा लॉन था जिसमें दो दरख्त थे। इनके सब्स पत्ते बारिश में नहा रहे थे। उधर टेलीफोन का एक खंबा गढ़ा था। उसके फ्लैट के ऐन सामने यह भी बड़ा मसरूर नजर आता था। हालांकि इसकी मुसर्रत की कोई वजह मालूम नहीं होती थी। तनवीर को यह महसूस होता था कि उसके आसपास की जो भी शह है

खुशी से नाच गा रही है। सावन गुजर चुका था और बारने रहमत नहीं हुई थी। लेकिन लोगों ने मस्जिदों में इकट्ठा होकर दुआएं मांगी मगर कोई नतीजा बरामद ना हुआ। बादल आते और जाते रहे मगर इनके थनों से पानी का एक कतरा भी ना टपका। आखिर एक दिन अचानक काले-काले बादल आसमान पर घेर आए और पानी बरसने लगा। तनवीर को बादलों और बारिशों से कोई दिलचस्पी नहीं थी। उसकी जिंदगी चटियल मैदान बन चुकी थी। जिसके मुंह में पानी का एक कतरा भी किसी ने ना टपकाया हो। दो बरस पहले उसने एक लड़की से जिसका नाम सुरैया था मोहब्बत करना शुरू की मगर एकतरफा मोहब्बत सावन के दिन थे बारिश हो रही थी

और वो अपनी कोठी से बाहर निकला आम बाल्टी में पड़े थे वो अकेला बैठा उन्हें चूस रहा था कि अचानक उसे चीखें और कह कहे सुनाई दिए उसने देखा कि साथ वाली कोठी के लॉन में दो लड़कियां बारिश में नहा रही हैं और खुशी में शोर मचा रही है। उसकी कोठी और साथ वाली कोठी के दरमियान एक झाड़ियों की दीवार हायल थी। तनवीर उठा। आम का रस चूसते हुए वह बाढ़ के पास गया और गौर से उन दोनों लड़कियों को देखा। दोनों महीन मलमल के कुर्ते पहने थी, जो उनके बदन के साथ चिपके हुए थे। शलवार चूंकि लट्ठे की थी, इसलिए तनवीर को उनके बदन के निचले हिस्से के सही खदोखाल का पता ना चल सका। उसने

पहले किसी औरत को ऐसी नजरों से कभी नहीं देखा था। जैसा कि उस रोज जब कि बारिश हो रही थी, उसने उन दोनों लड़कियों को देखा। देर तक वो उनको देखता रहा जो बारिश में भीग-भी भीग कर खुशी के नारे बुलंद कर रही थी। तनवीर ने उनको पहले कभी नहीं देखा था। इसलिए कि वो तबन कुछ इस किस्म का लड़का था कि वो किसी लड़की को बुरी नजरों से देखना गुनाह समझता था। मगर उसने उस रोज बड़ी ललचाई नजरों से उनको देखा। देखा ही नहीं बल्कि उनके गीले बदन में अंगारा बनकर बरमे की तरह छेद करता रहा। तनवीर की उम्र उस वक्त 20 बरस के करीब होगी। ना तजुर्बेकार था। जिंदगी में उसने पहली मर्तबा जवान

लड़कियों के शबाब को गीली मलमल में लिपटे देखा। उसने यूं महसूस किया कि उसके खून में चिंगारियां दौड़ रही हैं। उसने उन लड़कियों में से एक को मुंतखिब करना चाहा। देर तक वो गौर करता रहा। एक लड़की बड़ी शरीर थी। दूसरी उससे कम। उसने सोचा शरीर अच्छी रहेगी जो उसको शरारतों का सबक दे सके। यह शरीर लड़की खूबसूरत थी। उसके बदन के अज़ाब भी बहुत मुनासिब थे। बारिश में नहाती जल परी मालूम होती थी। थोड़ी देर के लिए तनवीर शायर बन गया। उसने कभी इस तौर पर नहीं सोचा था। लेकिन इस लड़की ने जिसका कुर्ता दूसरी के मुकाबले में बहुत महीन था उसको ऐसे-ऐसे शेर याद करा दिए जिनको अरसा

हुआ भूल चुका था। इसके अलावा रेडियो पर सुने हुए फिल्मी गानों की धुनें भी उसके कानों में गूंजने लगी और उसने बाढ़ के पीछे यह महसूस करना शुरू किया कि वह अशोक कुमार है, दिलीप कुमार है। फिर उसे कामिनी, कौशल और नलिनी जीवंत का ख्याल आया। लेकिन वो लड़की उनसे कहीं ज्यादा हसीन थी। उसके मलमल के कुर्ते में जो शबाब था, इसका मुकाबला इसने सोचा कोई भी नहीं कर सकता। तनवीर ने आम चूसने बंद कर दिए और इस लड़की से जिसका नाम परवीन था इश्क लड़ाना शुरू कर दिया। शुरू-शुर में उसे बड़ी मुश्किलात पेश आई। इसलिए कि उस लड़की तक रसाई तनवीर को आसान नहीं मालूम होती थी। फिर उसे अपने

वालदैन का भी डर था। इसके अलावा उसे यह भी यकीन नहीं था कि यह लड़की उससे बात भी करेगी या नहीं। बहुत देर तक वो इन्हीं उलझनों में गिरफ्तार रहा। रातें जागता। घंटों झाड़ियों के पास खड़ा रहता और वह बारिश वाला मंजर जो उसने देखा था आंखें बंद करके ज़हन में दोहराता रहता। बहुत दिनों के बाद आखिर उसको एक रोज इससे मुलाकात का मौका मिल गया। वो अपने बाप की कार में घर के किसी काम के घर से बाहर जा रहा था। वो कार स्टार्ट कर चुका था कि साथ वाली कोठी में तनवीर के ख्वाबों की शहजादी निकली। उसने हाथ से इशारा किया कि वो मोटर रोक ले। तनवीर घबरा गया। हर आशिक ऐसे

मौकों पर घबरा ही जाया करता है। उसने मोटर कुछ ऐसे भौंडे अंदाज में रोकी कि उसको जबरदस्त धजका लगा। इसका सर जोर से स्टीयरिंग व्हील के साथ टकराया। मगर उस वक्त वो शराब के नशे से ज्यादा मखमूर था। उसको उसकी महबूबा ने खुद मुखातिब किया था। परवीन के होठों पर गहरे सुर्ख रंग की लिपस्टिक थपी हुई थी। उसने सुर्ख मुस्कुराहट से कहा, माफ फरमाइएगा। मैंने आपको तकलीफ दी। बारिश हो रही है। तांगा इस दूरदराज जगह मिलना मुहाल है। और मुझे एक जरूरी काम से जाना था। आप मेरे हमसाए हैं। इसीलिए आपको यह जहमत दी। तनवीर ने कहा, जहमत का क्या सवाल पैदा होता है?

मैं तो मैं तो इसकी जुबान लड़खड़ा गई। आपसे मेरा तारुफ तो नहीं लेकिन एक बार आपको मैंने देखा था। परवीन अपनी सुर्ख मुस्कुराहटों के साथ कार में बैठ गई और तनवीर से पूछा, “आपने मुझे कब देखा था?” तनवीर ने जवाब दिया। आपकी कोठी के लॉन में जब आप और आपके साथ एक और लड़की बारिश में नहा रही थी। परवीन ने अपने गहरे सुर्ख लबों से चीखनुमा आवाज निकाली। हाय, आप देख रहे थे। यह गुस्ताखी मैंने जरूर की। इसके लिए माफी चाहता हूं। परवीन ने एक अदा के साथ उससे पूछा, आपने देखा क्या था? यह सवाल ऐसा था कि तनवीर इसका जवाब नहीं दे सकता था। आए बाएं शाय करके

रह गया। जी, कुछ नहीं बस आपको। मेरा मतलब है कि दो लड़कियां थी जो बारिश में नहा रही थी और खुश हो रही थी। मैं उस वक्त आम चूस रहा था। परवीन के गहरे सुर्ख लबों पर शरीर मुस्कुराहट पैदा हुई। आप आम चूसते क्यों हैं? काट कर क्यों नहीं खाते? तनवीर ने मोटर स्टार्ट कर दी। इसकी समझ में ना आया कि इस सवाल का जवाब क्या दे चुना वह गोल कर गया। आपको मैं कहां ड्रॉप कर दूं? परवीन मुस्कुराई। आप मुझे कहीं भी ड्रॉप कर दें। वही मेरी मंजिल होगी। तनवीर ने यूं महसूस किया कि उसे अपनी मंजिल मिल गई है। लड़की जो उसके पहलू में ही बैठी थी। अब उसी की है। लेकिन इसमें इतनी जुर्रत

नहीं थी कि वो उसका हाथ दबाए या उसकी कमर में एकद सेकंड के लिए अपना बाजू जमा ले। बारिश हो रही थी। मौसम बहुत खुशगवार था। आखिर उसने एक जगह अपनी मोटर को रोक लिया और जज्बात से मगलूब होकर उसको अपने साथ चिमटा लिया। उसके होठों से अपने होठ मिला दिए। उसको ऐसा महसूस हुआ कि वो कोई बहुत ही लजीज आम चूस रहा है। परवीन ने कोई मजामत ना की। लेकिन फौरन तनवीर को यह एहसास बड़ी शिद्दत से हुआ कि उसने बड़ी ही नाशायस्ता हरकत की है। और गालिबन परवीन को उसकी यह हरकत पसंद ना आई। चुनांचे एकदम संजीदा होकर उसने कहा, आपको कहां जाना है? परवीन के चेहरे पर यूं खफगी के कोई आसार

नहीं थे। लेकिन तनवीर यूं महसूस कर रहा था जैसे वह उसकी खून की प्यासी है। परवीन ने उसे बता दिया कि इसे कहां जाना है। लेकिन जब वो उस जगह पहुंचा तो उसे मालूम हुआ वो रंडियों का चकला है। जब उसने परवीन को मोटर से उतारा तो उसके होठों पर गहरे लाल रंग की मुस्कुराहट बिखर रही थी। उसने कूले मटका कर ठेट कसबियों के अंदाज में उससे कहा, शाम को मैं यहां होती हूं। आप कभी जरूर तशरीफ लाइए। तनवीर जब हैरान और परेशान होकर अपनी मोटर की तरफ बढ़ा तो उसे ऐसा लगा कि वह भी एक कसबी औरत है जिसे वो हर रोज चलाता है। उसकी लाल बत्ती लिपस्टिक है जो परवीन ने होठों पर

थपी हुई थी। वो वापस अपनी कोठी चला आया। बारिश हो रही थी और तनवीर बेहद गमजदा था। उसको ऐसा महसूस हुआ कि उसकी आंखों के आंसू बारिश के कतरे बनकर टपक रहे हैं।


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