आज की वीडियो में मैं आपको बताऊंगा पाकिस्तान की तारीख पर लिखी जाने वाली 10 बेहतरीन किताबों के बारे में। सो लेट्स गेट स्टार्टेड। देखिए दोस्तों, आप वैसे किताबें पढ़े ना पढ़े, लेकिन एक बात आपने याद रखनी है कि जिस मुल्क में आप रह रहे हैं ना, उसकी तारीख आपको लाजमी पता होनी चाहिए। यू शुड नो अबाउट द हिस्ट्री ऑफ योर नेशन, योर कंट्री। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि तारीख के अंदर इंसान के लिए बहुत बड़े सबक छुपे हुए होते हैं। वी लर्न फ्रॉम द मिस्टेक्स ऑफ हिस्ट्री। वही मुल्क तरक्की करता है जो अपनी माज़ की गलतियों से सीखता है और अपने मुस्तकबिल को अपने
फ्यूचर को बेहतर करता है। तो सबसे पहली बुक जो मैं आपको रेकमेंड करने वाला हूं वो है डॉक्टर परवेज हुद भाई की जबरदस्त किताब पाकिस्तान ओरिजिनस आइडेंटिटी इन फ्यूचर। देखिए डॉक्टर परवेज पाकिस्तान के जबरदस्त पब्लिक इंटेलेक्चुअल हैं। उनका जो यूजुअली पॉइंट ऑफ व्यू होता है वो पॉपुलर ओपिनियन पर बेस्ड नहीं होता। ही इज़ रूथलेसली ऑनेस्ट एंड ब्रूटल। यह किताब भी उन्होंने अपने टिपिकल अंदाज में लिखी है। इसमें शायद जो सबसे इंपॉर्टेंट पॉइंट है वो यह कि पाकिस्तान टू नेशन थ्योरी की बेसिस पर बना। यानी कि दो कौमी नजरिया। पाकिस्तान इस नजरिए पर बन तो गया लेकिन डॉक्टर परवेज
के मुताबिक अब इस दो कौमी नजरिए को उठाकर बाहर फेंक देना चाहिए। क्योंकि आज की दुनिया है प्लूरलिज्म की, इंक्लूसिविटी की और सेकुलरिज्म की। अगर आज की दुनिया में पाकिस्तान में आगे बढ़ना है तो मजहब स्टेट को ड्राइव नहीं करेगा बल्कि मुल्क की ओवरऑल तरक्की और उसके लोगों का इंटरेस्ट इसे आगे लेकर जाएगा। इस किताब में उन्होंने एक और इंपॉर्टेंट स्टेटमेंट का इस्तेमाल किया है। पाकिस्तान नॉट पंजाबिस्तान। इससे उनका मतलब यह है कि पंजाब बाकी सूबों के साथ नाइंसाफी करता है। तो चाहे वो वेल्थ डिस्ट्रीब्यूशन हो या मिलिट्री में रिक्रूटमेंट। ज्यादातर
वसाइल रिसोर्सेज का इस्तेमाल पंजाब में ही होता है। जिसकी वजह से बाकी सूबों को मेहरूमी का एहसास होता है। पाकिस्तान की मिलिट्री के हवाले से वो इस किताब में लिखते हैं दैट दे शुड गो बैक टू द बैरेक्स रादर देन फोकसिंग ऑन पॉलिटिक्स। यानी कि मिलिट्री को बॉर्डर पर फोकस करना चाहिए बजाय सियासत के। एक और इंपॉर्टेंट बात जो डॉक्टर हुद भाई ने अपनी इस किताब में लिखी है वो है पाकिस्तान की शनाख्त यानी कि उसकी आइडेंटिटी के हवाले से। हम लोग अक्सर टर्क्स के पीछे भागते हैं। कभी अरबियों के अंदर अपनी शनाख्त को तलाश करते हैं। जबकि उनसे हमारा कोई ताल्लुक नहीं। अगर
पाकिस्तान ने अपनी आइडेंटिटी तलाश करनी है तो उसका ताल्लुक सिर्फ इस धरती से है। अगर रीसेंट हिस्ट्री में पाकिस्तान की तारीख की बात की जाए, पाकिस्तान के सोशियो इकोनॉमिक सिस्टम की बात की जाए तो ये किताब एक जबरदस्त रीड है। दूसरे नंबर पे मैं बात करूंगा मशहूर जमाना के अजीज की बुक द मर्डर ऑफ हिस्ट्री। पाकिस्तान में पढ़ाए जाने वाले निसाब में, सिलेबस में जो तारीख के साथ खिलवाड़ किया गया है, यह किताब उसका पोस्टमार्टम करती है। किस तरह पाकिस्तान की जो दर्सी किताबें हैं, यानी कि वो बुक्स जो बच्चों को पढ़ाई जाती है कॉलेज और स्कूल लेवल पे उस पे किस तरह की
इंडॉक्टिनेशन है। केके अजीज ने हमारे सिलेबस में मौजूद दर्जनों किताबों का जिक्र किया है, एनालिसिस किया है। और ये साबित करने की कोशिश की है कि किस तरह इन किताबों के जरिए नई नस्ल के ज़हनों में कौम परस्ती पैदा की गई है। जब आप मर्डर ऑफ हिस्ट्री पढ़ेंगे तो आपको अंदाजा होगा कि हमारे सिलेबस में मौजूद जो बुक्स हैं उनमें किस कदर झूठ मौजूद है। इट इज़ अ वेरी इंटरेस्टिंग रीड। बेसिकली इस बुक के जरिए केके अजीज साबित ये करना चाहते हैं कि जब तक हम अपनी कौम के सामने सच नहीं रखेंगे ना और तारीख का ट्रू एनालिसिस नहीं करेंगे तब तक हमारे हालात नहीं बदलेंगे।
यह यूनिक किताब जब आप पढ़ेंगे तो आपको अंदाजा होगा कि किस तरह किताबों के जरिए कौम का ब्रेन वाश किया जाता है। तीसरे नंबर पर जो किताब है इट इज वन ऑफ़ माय मोस्ट फेवरेट बुक्स ऑफ ऑल टाइम ऑन इंडोपाक हिस्ट्री और इस बुक का नाम है फ्रीडम एट मिडनाइट। इसे लिखा था लेरी कॉलिं्स और डोमिनिक लेपेयर ने। वैसे तो इंडिया और पाकिस्तान की तारीख पर सैकड़ों किताबें लिखी गई हैं। लेकिन फ्रीडम एट मिडनाइट की खास बात यह है दैट इट फ्लोस लाइक अ ब्यूटीफुल नवेल। यूजुअली हिस्ट्री की जो किताबें होती है ना वो थोड़ी बोरिंग हो जाती है। लेकिन फ्रीडम एट मिडनाइट आपको
ऐसे जकड़ के रखती है, पकड़ के रखती है कि आपका किताब रखने का दिल ही नहीं करता। एक और खास बात इस किताब की यह है दैट इट इज वेरी अनबायस्ड। क्योंकि यूजली हिस्ट्री की जो बुक्स होती है ना उसके अंदर सबसे बड़ा मसला यह होता है कि वो बायस्ड होती हैं। उनका झुकाव किसी एक साइड पे होता है। फ्रीडम एट मिडनाइट जब आप पढ़ेंगे तो आपको जिन्ना की पर्सनालिटी का सही अंदाजा होगा। गांधी का क्या रोल था? नेहरू का क्या रोल था? मुस्लिम लीग और कांग्रेस ने किस तरीके से अपनी-अपनी फाइट लड़ी। यू विल बी एबल टू अंडरस्टैंड द एंटायर कॉन्टेक्स्ट। आई
स्टिल रिमेंबर कि मैं 13 या 14 साल का था जब मैंने यह बुक पढ़ी थी। एंड आई स्टिल रिमेंबर द डिटेल्स। सो फ्रीडम एट मिडनाइट आपने लाजमी पढ़नी है। चौथी जो बुक है पाकिस्तान के हवाले से वो है मशहूर जमाना एंड हाइली कंट्रोवर्शियल मिलिट्री इनकपोरेशन। इसको मिलिट्री इंक भी कहा जाता है और इसे लिखा है आयशा सिद्दीका ने। इस बुक का डिटेल्ड रिव्यु मैं ऑलरेडी कर चुका हूं। आप मेरे आकाइज में जाके इसको देख सकते हैं। इस किताब का बेसिक प्रेमिस ये है कि पाकिस्तान की जो मिलिट्री है वो बहुत माइटी है। वो बहुत पावरफुल है। वो बहुत इन्फ्लुएंशियल है। लेकिन उसके
इन्फ्लुएंस के पीछे सबसे बड़ा किरदार उसकी मुशी सरगर्मियों का है। आयशा सिद्दीका अपनी इस बुक मिलिट्री में लिखती है कि पाकिस्तानी फौज सिर्फ एक दफाई इदारा नहीं है बल्कि एक कॉर्पोरेट एंपायर है जो मुख्तलिफ सनतों में मुख्तलिफ कारोबार में जमी हुई है। उनका लिखना है कि पाकिस्तान की जो फौज है उसकी पावर सिर्फ मिलिट्री माइट नहीं बल्कि इन कारोबार से जनरेट होने वाला पैसा भी है। अब ये बात उनकी सही है या नहीं ये आप इस किताब को पढ़कर जान सकते हैं। पांचवें नंबर पर जो बुक मैंने सेलेक्ट की है उसका टाइटल है द स्ट्रगल फॉर पाकिस्तान और इसे लिखा है आयशा जलाल
ने। आयशा जलाल भी जबरदस्त हिस्टोरियन है। उन्होंने पाकिस्तान की तारीख के ऊपर बेहतरीन किताबें लिखी हैं। इस बुक में भी उन्होंने पाकिस्तान की तारीख का जिक्र किया और इस बात का एनालिसिस किया है कि वो क्या फैक्टर्स हैं जिसकी वजह से पाकिस्तानी रियासत आज भी इतनी कमजोर है। वो इस बुक पे कुछ ऐसे फैसलों की बात करती हैं जिनको अगर पाकिस्तान टाइमली और सही तरीके से ले लेता तो आज पाकिस्तान की डायरेक्शन ही कुछ और होती। इसमें उन्होंने पॉलिटिकल डिसीजंस का भी जिक्र किया है। कॉन्स्टिट्यूशन को लेकर हमने जो केस मचाया उसके बारे में भी जिक्र किया है। जो
मिलिट्री को लेकर हमने गलत डिसीजंस लिए हैं इसका भी थरो एनालिसिस किया है। आयशा जलाल के बारे में जो सबसे अच्छी बात मुझे लगती है वो ये दैट शी डजंट मिन हर वर्ड्स। शी कॉल्स अ स्पेड अ स्पेड। वो घबराती नहीं है। वो सच को सच कहती हैं। छठे नंबर पर जो बुक मैंने सेलेक्ट की है वो है स्टीफन कोहिन की द आईडिया ऑफ़ पाकिस्तान। स्टीफन कोहिन की ये जो बुक है ना यह बेसिकली पाकिस्तान की फिलॉसफी के बारे में बात करती है कि पाकिस्तान को बनाने के पीछे फलसफा क्या था। हमारे रियासती ढांचे में क्या वीकनेसेस हैं और किस तरह क्योंकि पाकिस्तान एक सिक्योरिटी स्टेट है इसीलिए
आवाम का जो वेलफेयर है ना उसकी एक सेकेंडरीेंस है। बेसिकली अपनी इस बुक में स्टीफन कोहिन का आर्गुमेंट ये है कि पाकिस्तान जिस फलसफे जिस आईडियोलॉजी पर बना था उससे बहुत दूर हो चुका है। इस किताब की सबसे इंटरेस्टिंग पॉइंट है इसका कंक्लूजन जिसमें स्टीफन कोहिन ने ना पाकिस्तान के पांच फ्यूचर्स का जिक्र किया है। उनका लिखना है कि मुस्तकबिल में पाकिस्तान के साथ यह फ्यूचर पॉसिबिलिटीज हो सकती हैं। पहला है द इमरजेंस ऑफ़ अ मॉडरेट डेमोक्रेटिक स्टेट। यानी कि मुस्तकबिल में शायद पाकिस्तान सही मायनों में एक जमहूरी रियासत बन जाए। द राइज़ ऑफ़
अथॉरिटेरियनिज़्म। यानी कि उनका कहना यह है कि शायद मुस्तकबिल में पाकिस्तान में आम्रियत भी आ जाए। द राइज़ ऑफ़ एन इस्लामि स्टेट। ये भी हो सकता है कि पाकिस्तान सही मायनों में एक इस्लामी रियासत बन जाए। चौथी जो पॉसिबिलिटी है वो सबसे खतरनाक है। पाकिस्तानस पॉसिबल ब्रेकअप। वो लिखते हैं कि इस बात के भी चांसेस हैं कि पाकिस्तान टूट जाए। और आखिरी जो पॉइंट है वो है पाकिस्तान आफ्टर अ मेजर वॉर विद इंडिया। यानी कि शायद इंडिया के साथ पाकिस्तान की एक बहुत बड़ी जंग हो जो हमेशा के लिए पाकिस्तान के इंस्टिट्यूशनल और पॉलिटिकल लैंडस्केप को बदल के रख दे। सातवीं जो
किताब है उसका टाइटल है इस्लाम इन पाकिस्तान और इसे लिखा है कासिम जमान ने। यह भी बड़ी इंटरेस्टिंग किताब है जो यह दिखाती है कि मजहब यानी इस्लाम का पाकिस्तान की स्टेट में क्या किरदार है। वो इस बुक में लिखते हैं कि कयाम पाकिस्तान के बाद मजहब को किस तरह रियासती पॉलिसी, सियासत और समाजी ढांचे में मुख्तलिफ अंदाज से इस्तेमाल किया गया और किस तरह मजहबी जमातों, उलमा और सियासतदानों ने अलग-अलग मौकों पर इस्लाम का इस्तेमाल किया अपने फायदे के लिए। इस बुक को पढ़ के आपको अंदाजा होता है कि मजहब के अंदर कितनी पावर है। इट कैन होल्ड
अ नेशन टुगेदर। लेकिन इस बात का भी अंदाजा होता है कि मजहब को किस तरह लोग एक्सप्लइट करते हैं अपने इंटरेस्ट को पर्सू करने के लिए। ओके जी अब आखिरी तीन किताबों की बारी है। आठवें नंबर पर जो बुक है वो भी बहुत मशहूर है और इसका टाइटल है पाकिस्तान बिटवीन मॉस्क एंड मिलिट्री और इसको लिखा है हुसैन हकानी ने। इन अ नटशेल ये बुक हमें बताती है कि किस तरह मस्जिद और फौज ही दरअसल पाकिस्तान को चलाती है। ये जो पाकिस्तान का सियासी निजाम है ना इसमें जितने मर्जी आप पॉलिटिशियंस को बुरा भला कह लें। हमारे सोशल फैब्रिक के बारे में कंप्लेन कर लें। लेकिन रियलिटी यह है कि
इस मुल्क को ड्राइव करता है मजहब और फौज। दिस बुक इज अगेन अ गुड रीड व्हिच विल गिव यू अ गुड पर्सेक्टिव। यह किताब भी कंट्रोवरर्शियल है एंड इट इज अगेंस्ट पॉपुलर ओपिनियन। लेकिन बुकबज मैंने हमेशा आपको यह बात सिखाई है ना कि नैरेटिव और काउंटर नैरेटिव दोनों के बारे में आपको पता होना चाहिए। सो दैट यू कैन फॉर्म अ सॉलिड ओपिनियन। नौवें नंबर पर है डेक्कलन वॉल्स की नाइन लाइफ्स ऑफ़ पाकिस्तान। यह भी इंटरेस्टिंग किताब है जो पाकिस्तान के सोशल फैब्रिक की डीप डार्क लेयर्स को एक्सप्लोर करती है। डेक्कलन वॉल्च एक जर्नलिस्ट है और उन्होंने पाकिस्तान को एक
अलग नजरिए से देखा है। इस बुक को जब आप पढ़ेंगे तो आपको सही मायनों में अंदाजा होगा कि हमारी कौम में क्या वीकनेसेस हैं। वो कौन सी चीजें हैं जिनकी वजह से आज भी पाकिस्तान कायम और दायम है और हमें ऐसा क्या चेंज करना है अपने कौमी नजरिए में जिसकी बेसिस पर हम लोग आगे बढ़ सके। इस बुक को पढ़ के आपको पाकिस्तान से प्यार भी हो जाएगा और अपने हालात पर तशवीश भी। और जनाब जो आखिरी किताब है पाकिस्तान की हिस्ट्री के हवाले से वह भी जबरदस्त है। इस बुक का टाइटल है जिन्ना ह सक्सेससेस फेलियर्स एंड रोल इन हिस्ट्री। और इसको लिखा है डॉक्टर इश्तियाक अहमद ने। मेरे
ख्याल में कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना पर दुनिया भर में जितनी भी किताबें लिखी गई है ना उनमें ये नंबर वन है। इट इज़ एन एक्सटेंसिव वर्क ऑफ रिसर्च। डॉक्टर इश्तियाक अहमद ने क्या खूब काम किया है। इस किताब के जरिए उन्होंने जिन्ना साहब की शख्सियत का थरो एनालिसिस किया है। इस बुक को पढ़ के ना सिर्फ आप जिन्ना साहब की पर्सनालिटी को सही तरह से समझ पाएंगे बट इट इज अ ग्रेट रिसोर्स ऑन अंडरस्टैंडिंग इंडोपाक हिस्ट्री। इसी किताब के कॉन्टेक्स्ट में मैंने डॉक्टर इश्तक अहमद का इंटरव्यू भी किया था। वो भी आप मेरे अकायज में जाके देख सकते हैं। जिन्ना साहब
सेकुलर थे नहीं थे। पाकिस्तान का मुकदमा वो क्यों लड़ रहे थे? किस तरीके से उन्होंने अंग्रेजों को कायल किया? उनकी पर्सनालिटी में क्या स्ट्रेंथ थी? और क्या वीकनेसेस यह सब आप इस किताब से जान सकते हैं। सो दोस्तों, यह थी मेरी टॉप 10 रेकमेंडेशंस ऑन द हिस्ट्री ऑफ़ पाकिस्तान। और जैसा कि मैंने आपको बताया था ना, दैट पीपल हु डू नॉट लर्न फ्रॉम द मिस्टेक्स ऑफ हिस्ट्री आर फोर्स टू रिपीट देम। लिहाजा इन किताबों को लाजमी पढ़िएगा। अपने बच्चों को पढ़ाएं, अपनी फैमिली मेंबर्स को पढ़ाएं ताकि पाकिस्तान अपनी माज़ की गलतियों से सीख कर आगे बढ़ सके। पाकिस्तान जिंदाबाद।