Khol Do by Saadat Hasan Manto | Manto Kay Afsanay | Baap Beti Ki Kahani | Book Buddy

हेलो हेलो फ्रेंड्स कैसे आप सफेद और लकी रंग रेड और आपका हम साल की बहुत ही जबरदस्त दूसरा होगा जैसे कि मैंने आपको लास्ट वीडियो में बताया था कि इस विडियो सीरीज में हम लोग मंटो साहब को एक्सटेंसिवली कवर करेंगे आज म्यूजिक लिए मंटो साहब की बर्थडे by 108 भी बर्थडे है और गुंजन ए ट्रिब्यूट देने के लिए अपने फोन पेज पर डूडल भी डाल है चेक थिस आउट इस विडियो से इसको आप दूसरी एपिसोड पहली एपिसोड में हमने मंटो के मशहूर तरह न जाने का ने शनिवार को कवर किया था आपकी जो एपिसोड है उसमें गेम मंटो का बहुत ही मशहूर अखबार है जिसका नाम है को खोल दो यह

बाप बेटी की बहुत ही दर्दनाक कहानी है इस कहानी को सुनाने से पहले मैं आपको पहले कहानी का बैकग्राउंड थोड़ा सा पैसे बंद कर दे देता हूं मंटू सिंह पाटिल के बारे में बहुत पर लिखे सालों है वह खुद पर्सनली पार्टीशन के खिलाफ पे इस सप्ताह में खून दो मैं भी उन्हें इस पार्टीशन में जो खून खराबा हुआ उसके बारे में लिखा है और एक बाप बेटी की दास्तान से रहेंगे तो इस कहानी का सुंदर लेकिन उससे पहले चैनल को सब्सक्राइब कर लें और बैल आइकॉन दबाना मत भूलिएगा ताकि जैसी में विडियो अपलोड करो तो उसकी नोटिफिकेशन आ जाए और हां अगर आपको वीडियो पसंद आए तो प्लीज लाइक बटन जरूर

प्रेस कीजिए और अपने फैमिली मेंबर्स के साथ अपने फ्रेंड्स के साथ वीडियो को शेयर जरूर कीजिएगा लक्ष्मी लाइक थिस हुआ है कि अमृतसर से स्पेशल ट्रेन दोपहर दो बजे को चली गई और आठ घंटों के बाद मुगलपुरा पहुंची रास्ते में कई आदमी मारे गए मुताबिक जख्मी हो और कुछ इधर-उधर भटक गए सुबह तक बजे क्योंकि ठंडी समय पर जब राष्ट्रपति ने आंखें खोलीं और अपने चारों तरफ वृद्धों और तो और बच्चों का एक बंदर देखा उसकी सोचने-समझने की कूवत दें और भी कमज़ोर हो गई यूं तो कैंप में हर तरफ शोर बरपा था लेकिन बूढ़े सिराजुद्दीन के कान जैसे इन थे इसे कुछ सुनाई नहीं देता था को

इसे देखता तो यह खेल करता कि वह किसी गहरी पिकअप अनुसार है मगर ऐसा नहीं था गन्ने आसमान की तरफ बगैर किसी इरादे के देखते-देखते सिराजुद्दीन की निगाहें सूरत से टकराएंगे और हो जाग उठा ऊपर तरह उसके दिमाग पर कई तस्वीरें बढ़ गई लूट आग भागम-भाग स्टेशन गोलियां रात और सकीना पूरे तीन घंटे वह सकीना-सकीना पुकारता कैंप में खाक छानता रहा मगर उसे अपनी जवान क्लोंक ट्यूब तक कोई पता ना मिला कोई अपना बच्चा ढूंढ रहा था कोई मां कोई बीबी और कोई बेटी सिराजुद्दीन थक-हारकर एक तरफ बैठ गया और हाफ पर जोर देकर सोचने लगा कि सकीना उससे कब और कहां जुदा हुई लेकिन सोचते-सोचते

उसका दिमाग सकीना की मां की लाश पर जम जाता जिसकी सारी अंतड़ियां बाहर निकली हुई थी इससे आगे वह और कुछ ना सोच सकता सकीना की मां मर चुकी थी इसमें सिराजुद्दीन के आंखों के सामने दम तोड़ा था लेकिन सकीना कहां थी जिसके मुताबिक उसकी मां ने मरते हुए कहा था मुझे छोड़ो और सकीना को लेकर चलते यहां से भाग जाओ सकीना इसके साथ ही थी दोनों नंगे पांव भाग रहे थे सकीना का दुपट्टा गिर पड़ा था इसे उठाने के लिए इस ने रोकना चाहा मगर सकीना ने चिल्ला कर कहा था अब बाजी छोड़िए लेकिन उसने दुपट्टा उठा लिया था यह सोचते-सोचते उसने अपने कोर्ट

की हुई जीत की तरफ देखा और उस में हाथ डालकर यह कपड़ा निकाला सकीना का वहीं दुपट्टा था लेकिन सकीना का हाथी जो सिरा दो-तीन गमलें थके हुए दिमाग पर बहुत जोर दिया मगर वह किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका क्या वह सकीना को अपने साथ स्टेशन ले आया था क्या व उसके साथी गाड़ी में सवार थी रास्ते में जब गाड़ी रोकी गई थी और बलवाई अंदर घुस आए थे तो क्या वह बेहोश हो गया था जो वह सकीना उठाकर ले गए सिराजुद्दीन के दिमाग में सवाल ही सवाल के जवाब कोई भी नहीं था उसको हमदर्दी की जरूरत थी लेकिन चारों तरफ जितने भी इंसान पहने हुए थे सबको हमदर्दी की जरूरत थी

सिराजुद्दीन ने रोकना चाहा मगर आंखों ने उसकी मदद ना कि छह उसके बाद जब होशोहवास किसी कदर दुरुस्त हुए तो सिराजुद्दीन उन लोगों से मिला जो इसकी मदद करने के लिए तैयार थे आठ नौजवान थे जिनके पास लारी थी बंदूकें भी सिराजुद्दीन ने उनको लाख लाख दुआएं दी और सकीना का हुलिया बताया गोरा रंग है और बहुत ही खूबसूरत है मुझ पर नहीं अपनी मां पर थी उम्र 17 वर्ष के करीब है आंखें बड़ी-बड़ी बाल से या दाहिने गाल पर मोटा सा कि मेरी इकलौती लड़की है ढूंढ लाओ तुम्हारा खुदा भला करेगा रजाकार नौजवानों ने बड़े जज्बे के साथ बूढ़े सिराजुद्दीन को यकीन दिलाया कि अगर उसकी बेटी जिंदा

हुई तो चंद ही दिनों में उसके पास होगी आठों नौजवानों ने कोशिश की जान हथेली पर रखकर वह अमृतसर गए कई औरतों कई मर्दों और कई बच्चों को निकाल-निकालकर उन्होंने महफूज मुकाम पर पहुंचाया दस रोज गुजर गए मगर उन्हें सकीना कही ना मिली एक रोज वह इसी किस्मत के लिए लारी पर अमृतसर जा रहे थे कि पास सड़क पर इन्हें एक लड़की दिखाई दी लारी की आवाज सुनकर वह बिदकी और भागना शुरू कर दिया रजाकारों ने मोटर रोकी और सबके-सब इसके पीछे भागे एक खेत में उन्होंने लड़की को पकड़ लिया देखा तो बहुत खूबसूरत थी दाहिने गाल पर मोटा तिल था एक लड़के ने उससे कहा घबराओ नहीं-क्या

तुम्हारा नाम से कहना है लड़की का रंग और भी जर्द हो गया उसने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन जब तमाम लड़कों ने उसे दम-दिलासा दिया तो उसकी दहशत दूर हुई और कि मान लिया कि वो सराजुद्दीन की बेटी सकीना है आठ प्रकार नौजवानों ने हर तरह से सकीना की दिलजोई की उसे खाना खिलाया दूध पिलाया और लारी में बिठा दिया ेकिन अपना कोट उतारकर इसे दे दिया क्योंकि दुपट्टा ना होने के बाद इस वह बहुत उलझन महसूस कर रही थी कई दिन गुजर गए सिराजुद्दीन को सकीना की कोई खबर न मिली वह दिनभर मुख्तलिफ कैंपों और दफ्तरों के चक्कर काटता रहता लेकिन कहीं से भी इसकी बेटी का

पता ना चला प्राप्त हो बहुत देर तक िनराकार नौजवानों की कामयाबी के लिए दुआ मांगता रहता जिन्होंने इस को यकीन दिलाया था कि अगर सकीना जिंदा हुई तो चंद दिनों ही मैं वहां से ढूंढ निकालेंगे एक रोज सिराजुद्दीन ने कैंप में उन नौजवान रजाकारों को देखा लारी में बैठे थे सिराजुद्दीन भागा-भागा उनके पास गया लारी चलने ही वाली थी कि उसने पूछा-बेटा मेरी सकीना का पता चला सबने एक जवाब होकर कहा चल जाएगा चल जाएगा और लारी चला दी सिराजुद्दीन ने एक बार फिर उन नौजवानों की कामयाबी के लिए दुआ मांगी और उसका जी किसी कदर हलका हो गया है कल शाम के करीब कैंप में जहां सिरा जतिन

बेटा था इसके पास हैं कुछ गड़बड़ सी हुई चार आदमी कुछ उठा कर ला रहे थे इसमें तय किया तो मालूम हुआ एक लड़की रेलवे लाइन के पास बेहोश पड़ी थी लोग उसे उठाकर लाए हैं सिराजुद्दीन इनके पीछे-पीछे हो लिया लोगों ने लड़की को अस्पताल वालों के सपोर्ट किया और चले गए कुछ देर ऐसे ही अस्पताल के बाहर खड़े हुए लकड़ी के खंबे के साथ लगकर खड़ा रहा फिर आहिस्ता-आहिस्ता अंदर चला गया कमरे में कोई भी नहीं था एक फीचर था जिस पर एक लाश पड़ी थी सिराजुद्दीन छोटे-छोटे कदम उठाता इसकी तरफ बड़ा कमरे में दफ़अतन रोशनी हुई सिराजुद्दीन ने लास्ट जर्द

चेहरे पर चमकता हुआ तिल देखा और चिल्लाया सकीना डॉक्टर ने जिसमें कमरे में रोशनी की थी सिराजुद्दीन से पूछा क्या है सिराजुद्दीन के हलक से सिर्फ इस कदर निकल सका जी मैं जिम मैं इसका बाप हूं डॉक्टर ने स्पेशल पर पड़ी हुई लाश की तरफ देखा इसकी नाक टटोली और सिराजुद्दीन से कहा खिड़की खोल दो सकीना के मुर्दा जिस्म में हरकत पैदा हुई बेजान हाथों से उसने जार बंद खोला और सलवार नीचे सरका दी बूढ़ा से राजू तीन ख़ुशी से चिल्लाया जिंदा है-मेरी बेटी जिंदा है डॉक्टर सर से पैर तक पसीने में गर्क हो गया ऑफ स्पेस मैंने कहा था बट इसके मंटो की कहानियां अक्सर इंसान के

रौंगटे खड़े कर देती है छोटी सी कहानी थी लेकिन कितनी मानेंगे सी एक बाप का दर्द बेटी की बेबसी और दो मुगलों का बंटवारा कितनी खूबसूरती से मंटो ने इस कहानी में यह सब एक्सप्रेस को कवर किया और हमेशा की तरह इनकी कहानी को उच्चतम है जो फ्रेंड है वह पॉजिटिव जान ले व है आखिरी की दो-तीन ना इसमें नजाने मंटू क्या जादू करते क्या मैजिक करते हैं कि जो भी डेयर है वह गुस्से बदलाव बेहतर नींद ही बाइक्स इज गोल्ड बैंगल्स अपने दातों में अपनी उंगली दबा लेते हुए इतना चौंक जाता है इतना सरप्राइज़ हो जाता है यह माहिर रिपोर्ट लेकर की पहचान

अधिक उसे बड़े पैराग्राफ्स और गाने लोगों की जरूरत नहीं होती बल्कि बच्चन अब हम अपनी बातों को ऐसे बयान करता है कि लोगों के दिलों में पास उतर जाती है सलाम है मंटो साहब आपको तो दोस्तों यह थे आज की कहानी आज की स्टोरी आज का अफसाना मंटो साहब की तरफ से दोबारा जल्द ही रहेगा स्टोरी के साथ एक बॉक्स आने के साथ और एक और मंटू के मास्टरपीस के साथ तब तक मेरे साथ बने रहिए और चैनल को सब्सक्राइब करना मत भूलिए हंटर Lifestyle दोस्तों इलेक्ट्रॉनिक्स ढूल प्रोग्रेस इन सिल्क सिलाई सिलेक्शन इन पाकिस्तान

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