Sophie’s World Book Review – Best Philosophy Book Ever

दोस्तों एक 14 साला लड़की सोफी जब एक दिन अपने घर आती है तो उसे एक अजीबोगरीब और पुरसुराह खत मिलता है जब वह उस खत को खोलती है तो उसमें सिर्फ एक सवाल लिखा होता है तुम कौन हो हु आर यू सोफी को यह सीधा-साधा सा सवाल हिला के रख देता है और वह कई दिन तक इसी सवाल के बारे में सोचती रहती है अभी वह इसी खत में उलझी होती है कि उसे एक और खत मिलता है वह उसे खोलती है तो उसमें भी एक और सवाल होता है यह दुनिया कहां से आई है वेट डज दिस वर्ल्ड कम फ्रॉम यह सब सोफी को मजीद उलझा देता है और वह सोचती है कि आखिर वह कौन सा शख्स है जो उसे यह खत भेज रहा है वो क्यों उसे ऐसे

गहरे सवाल पूछकर फलसफे की दुनिया की तरफ धकेल रहा है दोस्तों यह प्लॉट है एक ऐसी किताब का जो फिलॉसफी की जादुई दुनिया में एंट्री के लिए दरवाजे की हैसियत रखती है पूरी दुनिया में करोड़ों लोग जब भी फिलॉसफी को समझना चाहते हैं वोह इस किताब को जरूर पढ़ते हैं मेरे से जब भी लोग पूछते हैं कि फिलॉसफी को आखिर पढ़ना कहां से शुरू करें तो हमेशा मैं उन्हें यही किताब रिकमेंड करता हूं इस बुक का नाम है सोफीज [संगीत] वर्ल्ड सोफीज वर्ल्ड दोस्तों एक यूनिक किताब है क्योंकि दरअसल यह एक नोवल है जिसमें उसके ऑथर ऑस्टीन गार्डन ने सोफी और उसके उस्ताद अल्बर्टो नॉक्स के जरिए हमें

फिलॉसफी के गहरे और गाढ़े कांसेप्ट समझाने की कोशिश की है यह किताब इतनी इंटरेस्टिंग और लाइफ चेंजिंग है कि अगर आप एक दफा इसको पढ़ना शुरू करेंगे ना तो आपको इसको छोड़ने का दिल ही नहीं करेगा सो बुग बज एक काम करते हैं आज मैं आपको सोफी मनसन के साथ फलसफे के एक ऐसे सफर पर लेकर जाऊंगा जो शायद आपकी जिंदगी बदल दे और आपके लिए हकीकत के पीछे छुपे हुए राजों पर से बिल आखिर पर्दा उठा दे सो लेट्स गेट स्टार्टेड सो पहली मिस्ट्री आप लोगों के लिए सॉल्व करता हूं कि सोफी को जो शख्स यह खत भेज रहा था ना उसका नाम था अल्बर्टो नॉक्स अल्बर्टो नॉक्स कोई आम शख्स नहीं था वो एक

ऐसा उस्ताद था जो सोफी को हकीकत की खोज में मदद देने वाला था अब देखें अल्बर्टो जिस ऑर्डर में सोफी को लेकर चलेगा ना आपने भी फिलॉसफी इसी ऑर्डर में पढ़नी शुरू करनी है सो कहानी का आगाज होता है अर्लीस्ट ग्रीक फिलोसोफर से जिन्हें नेचुरल फिलोसोफर कहा जाता है ये फलसफे नेचुरल वर्ल्ड और इसके अंदर मौजूद प्रोसेसेस को समझने की तग दो में लगे हुए थे वो जानना चाहते थे कि नेचर यानी कुदरत काम कैसे करती है किस तरह पानी के अंदर मछलियां पैदा हो जाती हैं किस तरह दिखने में बेजान जमीन से इतने बड़े दरख्त और खूबसूरत फूल वाले पौधे निकल आते हैं फलसफे ना दरअसल

अपने सवालों के जरिए लॉज ऑफ नेचर को समझना चाहते थे यही वजह है कि इन्हीं फलसफे ने इन्हीं फिलोसोफर ने पहली दफा रिलीजन को फिलॉसफी से अलहदा किया इनफैक्ट नेचुरल फिलोसोफर वो पहले लोग थे जिन्होंने स्टेप लिया इन द डायरेक्शन ऑफ साइंटिफिक रीजनिंग इनमें से पहला फिलोसोफर जिसके बारे में हम लोग जानते हैं वो था थेलीसिना मानना था कि दुनिया में हर चीज का सोर्स पानी है हर चीज पानी से ही वजूद में आती है और बिल आखिर पानी में ही खाक हो जाती है थेली के बाद एक और नेचुरल फिलोसोफर था जिसका नाम था एनेक्सी मेंडर उसका मानना था कि हमारी दुनिया बहुत सारी दुनियां में से

एक है और बिला आखिर यह सारे वर्ल्ड डिजॉल्ड्रिंग यह किया जाता है कि एनक्स मंडर जब बाउंडलेस का जिक्र करता है तो उसका मतलब यह है कि एक ऐसा सब्सटेंस जो बाकी सारी दुनिया से मुख्तलिफ हो क्योंकि ऑल क्रिएटेडटेड और वो चीज जो इस क्रिएशन से पहले और बाद में आए वही बाउंडलेस होगी जो तीसरा नेचुरल फिलोसोफर था उसका नाम था नेक्सिम उसका मानना था कि दुनिया में हर चीज की सोर्स एयर यानी कि हवा होती है देखिए ये जो तीनों नेचुरल फिलोसोफर थे ना इनका एक बात पर भरपूर ईमान था वह कहते थे कि इस दुनिया में कोई ना कोई एक बेसिक सब्सटेंस है जो हर चीज की क्रिएशन की वजह

बनता है लेकिन यह कैसे हो सकता है कि एक सब्सटेंस एक ही पल में कुछ और हो और दूसरे ही पल में अपनी फॉर्म चेंज कर जाए इसे कहते हैं प्रॉब्लम ऑफ चेंज इसी सवाल पर एक नए ग्रुप ऑफ फिलोसोफर ने काम करना शुरू किया जिन्हें एलिटस कहा जाता है इनमें से सबसे प्रॉमिनेंट फिलॉसफी था पर मेनिस उसका कहना था कि इस दुनिया में जो भी चीज मौजूद है ना वह हमेशा से मौजूद है यानी कि एवरीथिंग दैट एसिस्टेड ऑलवेज एक्जिस्टेड पर मेनेज का कहना था कि नथिंग कैन कम आउट ऑफ नथिंग एंड नथिंग दैट एक्जिस्ट कैन बिकम नथिंग लेकिन परमेन के बारे में जो सबसे जबरदस्त और कमाल बात है ना वो अब मैं आपको

बताना चाहता हूं आपने वो एक्सप्रेशन तो सुना होगा आई विल बिलीव इट व्हेन आई सी इट शायद आप लोगों ने वो अजीबोगरीब बॉलीवुड मूवी देखी हो जिसका नाम है आंखों देखी वो भी काफी फिलोसॉफिकल है मैं मूवीज नहीं देखता बट दिस इज वन बॉलीवुड मूवी व्हिच आई रिमेंबर लेकिन ये जो हमारे परमेन भाई साहब है ना ये चीजों को देखकर भी उनके ऊपर बिलीव नहीं किया करते थे उसका कहना था कि हमारी ये जो सेंसेस है ना ये हमें दुनिया की एक फाल्स यानी कि गलत पिक्चर देती हैं जो हमारी पावर ऑफ रीजनिंग से अलाइन नहीं होती लिहाजा एक फलसफे की सबसे बड़ी रिस्पांसिबिलिटी यह है कि वह हर तरह की

परसेप्टल इल्यूजन को एक्सपोज करके रख दे दोस्तों यही सोच बिल आखिर रशन इज्म की बुनियाद बनी रशन इस्ट वह शख्स होता है जो सबसे ज्यादा वैल्यू ह्यूमन रीजनिंग को देता है जिसके लिए इंसान की फैकल्टी ऑफ रीजन इज द प्राइमरी सोर्स ऑफ नॉलेज इन दिस वर्ल्ड पर मेने डीज के बाद एक आखिरी नेचुरल फिलोसोफर की बात करते हैं जिसका नाम था हेरेक्स रेक्लाउ का कहना था कि नेचर नाम ही चेंज का है इस दुनिया में हर चीज हर वक्त एक फ्लक्स में है एक मूवमेंट में लिहाजा किसी भी एक चीज को आप दोबारा एक्सपीरियंस नहीं कर सकते हेरे क्लाइट ने एक और इंपॉर्टेंट

बात कही उसका कहना था कि ये दुनिया ना ऑपोजिट से मिलकर बनती है यानी कि अगर मैं बीमार ना हूं तो मुझे सेहत का कांसेप्ट समझ ही नहीं आएगा इसी तरह अगर रात ना हो तो दिन का भी कोई वजूद नहीं होगा जंग नहीं होगी तो अमन भी नहीं होगा लिहाजा ऑपोजिट्स हैं तो यह दुनिया कायम है खुदा यानी गॉड के बारे में उसका कहना था कि गॉड इज डे एंड नाइट विंटर एंड समर वॉर एंड पीस हंगर एंड सटायटी लेकिन जब रेक्लाउ का इस्तेमाल करता है ना तो वोह ग्रीक मिथोई हस्ती थी जो पूरी दुनिया को अपने अंदर समाए हुए हैं गॉड नेचर है कुदरत है जो हर वक्त चेंज हो रही है इनफैक्ट उसने

गॉड के लफ्स की बजाय एक ग्रीक टर्म का इस्तेमाल किया जिसे कहा जाता है लोगस उसका इस बात पर भरपूर ईमान था कि इस कायनात में कोई ना कोई एक यूनिवर्सल रीजन है जो पूरी दुनिया को गाइड कर रही है नेचुरल फिलोसोफर के बाद बारी आती है पहले ग्रेट एशियंट ग्रीक फिलोसोफर की व्हिच इज वन ऑफ माय पर्सनल फेवरेट्स ये वो फलसफे था जो एथेंस की सड़कों पर मेला कुचला फिरा करता था और लोगों को रोक रोक कर सवाल किया करता था कि आखिर तुम जिंदा क्यों हो तुम्हारी जिंदगी का मकसद क्या है पर्पस क्या है लोग इस छोटे से कद के मैले कुचले फिलोसोफर से बहुत चिड़ा करते थे लेकिन आज देखें उन

लोगों को कोई नहीं जानता लेकिन सक्रेटीज का नाम आज भी जिंदा [संगीत] है सक्रेटीज के फलसफे की एक लाइन पूरी फिलॉसफी पर भारी है एन अन एग्जामिन लाइफ इज नॉट वर्थ लिविंग वाह क्या कमाल बात है इसका मतलब यह है कि वो जिंदगी जिसमें तग दो नहीं है जद्दो जहद नहीं है स्ट्रगल नहीं है अपने आप को पहचानने के लिए कोई मेहनत नहीं है जिंदगी के मकसद को तलाश करने के लिए कोई रेस्टस स नहीं है तो ऐसी जिंदगी किसी काम की नहीं सक्रेटीज का यह जुमला सुनकर ना सोफी के जहन में बहुत से सवालात पैदा होने शुरू हो जाते हैं वो इतनी छोटी सी एज में अपने बारे में सोचती

है कि उसकी जिंदगी तो सिर्फ एक रूटीन के इर्दगिर्द घूम रही है ना कोई उसमें नया सवाल है ना कोई जद्दोजहद है और ना कोई दगद है यह थॉट उसे हिला के रख देती है और वह अपने आप से यह वादा करती है कि व इस जिंदगी की हकीकत जान के रहेगी सक्रेटीज से वोह एक और चीज सीख है और वह है द पावर ऑफ क्वेश्चंस सक्रेटीज हमेशा कहता था कि आई नो दैट आई नो नथिंग उसके पास हर सवाल का जवाब नहीं होता था लेकिन जिंदगी के हर पहलू को लेकर उसके पास बहुत से सवालात होते थे और उन्हीं सवालात से वह जिंदगी की रियलिटी को समझ लेता था सक्रेटीज ने ना तो कोई किताब लिखी और ना ही अपनी टीचिंग्स को

डॉक्यूमेंट किया हमें तो शुक्रिया अदा करना चाहिए प्लेटो का उसके शागिर्द का जिसने अपने डायलॉग्स के जरिए अपनी किताबों के जरिए अपने उस्ताद सक्रेटीज का नाम जिंदा रखा सोफी सक्रेटीज के बाद अब प्लेटो को समझना शुरू करती है और समझती है उसकी फिलॉसफी के सबसे बिजार आईडिया को यानी कि थ्योरी ऑफ फॉर्म्स इस थ्योरी ऑफ फॉर्म्स के मुताबिक यह दुनिया दो हिस्सों में डिवाइडेड है एक तो है द वर्ल्ड ऑफ अपीयरेंस यानी कि वो दुनिया जिनमें हम लोग रहते हैं जिनमें हमें यह चीजें नजर आती हैं एंड द अदर वन इज द वर्ल्ड ऑफ रियलिटी यह वो रियलिटी है जो इटरनल है और इ मूटे

बल है दुनिया की कोई ताकत इस रियलिटी को नहीं बदल सकती उसका कहना था कि आइडियल फॉर्म्स के बारे में जो हमारा कांसेप्ट होता है ना वो इनेट होता है यानी के पैदाइशी यानी कि कोई भी शख्स इन आइडियाज की समझ के साथ पैदा होता है तो चाहे वो उससे अवेयर हो या ना हो प्लेटो ने एक और मिस्टीरियस और पुसर बात कही उसका कहना था कि हमारी पैदाइश से पहले हमारी रूह पैदा हो जाती है और चूंकि हमारी यह रूह हमारी ये सोल इ वर्ल्ड ऑफ आइडियाज में रहती है लिहाजा उसे इन सब परफेक्ट फॉर्म्स के बारे में पता होता है लेकिन जैसे ही यह सोल हमारी बॉडी में बेदार होती है उसे यह सब

बातें भूल जाती हैं हमारी इस रूह के अंदर उस वर्ल्ड ऑफ आइडियाज के जो परफेक्ट फॉर्म्स थी ना उनकी सिर्फ एक धुंधली सी इमेज रह जाती है लिहाजा जब हम रियल लाइफ में किसी घोड़े को देखते हैं ना तो हम घोड़े को तो आइडेंटिफिकेशन के अंदर हमें पता लग जाता है कि यह जो चीज हमारे सामने दौड़ रही है यह एक घोड़ा है क्योंकि इस घोड़े की परफेक्ट फॉर्म ऑलरेडी हमारी रूह उन वर्ल्ड ऑफ आइडियाज में देख चुकी है और कहीं ना कहीं हमारे सामने फिजिकल वर्ल्ड में मौजूद यह घोड़ा उस परफेक्ट फॉर्म से मिलता जुलता है प्लेटो के बाद उसी का एक और बड़ा स्टूडेंट

एरिस्टोटल यानी कि अरस्तु मंजर आम पर आया एरिस्टोटल ने हमें मं तक यानी लॉजिक सिखाई जिसकी बुनियाद पर आज का पूरा साइंसीलर्ट चीज के पीछे एक रीजन होती है और हम मुशाहिद और तजुर्बे यानी कि ऑब्जर्वेशन और एक्सपीरियंस के जरिए इल्म हासिल कर सकते हैं एंस ग्रीक फिलॉसफी ने सोफी को झंझोट कर रख दिया और उसे मजीद क्यूरियस भी कर दिया उसके जहन में बहुत से सवालात पैदा होने शुरू हो गए और वह उन सवालों का जवाब भी जानना चाहती थी सोफी और उसके उस्ताद अल्बर्टो नॉक्स ने ग्रीक फिलॉसफी के बाद यूरोपियन मिडिल एजेस और रेनेसांस को एक्सप्लोर करना शुरू किया क्रिश्चियन मजहब

ने किस तरह फिलोसॉफिकल डिबेट को ड्राइव किया फेथ को लेके लिटी को लेकर और मैटेरियलिज्म को लेके यह भी सोफी ने समझा अगले 1500 साल तक मजहब ने फिलोसॉफिकल डिबेट फिलोसॉफिकल कंजेक्चर के ऊपर ताले लगा दिए मजहब ने लोगों को यह सिखा दिया कि जहां पर फेथ यानी ईमान की बात आ जाए ना वहां पर किसी भी किस्म के सवाल की कोई गुंजाइश नहीं मजहब में सवाल उठाया नहीं जाता बल्कि सर को झुकाया जाता है और जब मशर में ऐसा एटीट्यूड होता है ना तो वहां पर किसी भी किस्म की प्रोग्रेस किसी भी किस्म का डायलॉग डिस्कोर्स किसी भी किस्म की नई नोवल सोच जन्म नहीं

लेती लेकिन 15वीं सदी में दो ऐसे इंसीडेंट्स हुए जिन्होंने यूरोप की किस्मत को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया एक तो थी दोस्तों द इन्वेंशन ऑफ प्रिंटिंग प्रेस और दूसरा था रेनेसांस गुटेनबर्ग प्रेस और रेनेसांस ने यूरोप के इंटेलेक्चुअल स्लंबर को तोड़ के रख दिया रेनेसांस एक इंटेलेक्चुअल रिवाइवल लेकर आया जिसमें फाइनली लोगों ने मजहब के डर से बाहर निकलकर क्रिएटिविटी को ह्यूमन पोटेंशियल को आर्ट को साइंस को फिलॉसफी को समझना शुरू किया यहां पर कोपरनिकस का जिक्र करना जरूरी है एक ऐसा बहादुर और कमाल का साइंस दन जिसने चर्च के जिओ सेंट्रिक मॉडल को

चैलेंज किया कोपरनिकस ने पहली दफा इस दुनिया को बताया कि भाई अर्थ नहीं है जिसके इर्दगिर्द सूरज घूमता है बल्कि हमारा जो सोलर सिस्टम है उसका सेंटर है सन लिहाजा ही प्रपोज द हीलियो सेंट्रिक मॉडल ऑफ द यूनिवर्स चर्च ने सारी उम्र लोगों को बताया कि ये जो दुनिया है ना हमारा जो अर्थ है दिस इज द सेंटर ऑफ द सोलर सिस्टम लेकिन कोपरनिकस ंप गया कि चर्च का यह दावा झूठ पर मबन है और उसने अपनी किताब ऑन द रेवोल्यूशन ऑफ द हेवनली स्फियर्स के जरिए दुनिया को एक ऐसा नया नजरिया दिया जिसने चर्च की पावर को तोड़ने की बुनियाद रख दी यही वो दौर था जिसमें आहिस्ता आहिस्ता

फिलॉसफी ने कम बैक करना शुरू किया इसे बरू किरा कहा जाता है और इसमें क्लासिकल शो डाउन हुआ बिटवीन मटेरियल ज्म एंड आइडियलिज्म मटीरियल ज्म का फलसफा यह कहता है कि इस दुनिया में हर चीज के पीछे फंडामेंटल सब्सटेंस मैटर है और इस मैट को समझकर हम इस कायनात के हर प्रोसेस को समझ सकते हैं यह मटेरियल ज्म की ही फिलॉसफी थी जिसने 17वीं और 18वीं सदी में जो साइंटिफिक रेवोल्यूशन आया उसकी बुनियाद रखी दूसरी तरफ आइडियलिज्म मैटेरियलिज्म के बिल्कुल अपोजिट बात करता है आइडियलिज्म के मुताबिक इस दुनिया का फंडामेंटल सब्सटेंस मैटर नहीं बल्कि स्पिरिचुअल है इस दौर का

सबसे बड़ा मटेरियल फिलोसोफर थॉमस हॉबस था वो कहता था कि इवन इंसान की जो रूह है ना उसे भी हमारे ब्रेन और बॉडी के पार्टिकल्स के जरिए एक्सप्लेन किया जा सकता है थॉमस हॉप्स के बाद अब बात करते हैं रैशनल स्कूल ऑफ थॉट की जिसका शायद सबसे पहला बड़ा फिलोसोफर रेने डेकार्ट था जिसने अपनी सोच के जरिए दुनिया के सोचने के जाविया को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया रैशनल ज्म दोस्तों जैसा कि मैंने आपको बताया ह्यूमन फैकल्टी ऑफ रीजनिंग को सबसे ज्यादा सेक्रेड समझती है रैशन इस्ट के लिए हमारे ब्रेन से बड़ी कोई पावर नहीं और रैशन इस्ट ये कहते हैं कि इंसान अपनी पावर ऑफ

रीजनिंग के जरिए इस पूरी कायनात को समझ सकता है यही वजह है कि उसने अपनी मशहूर जमाना स्टेटमेंट इस दुनिया को दी आई थिंक देयर फोर आई एम इस स्टेटमेंट ने मॉडर्न फिलॉसफी की बुनियाद रखी और ह्यूमन कॉन्शियस को रियलिटी को समझने के लिए एक स्टार्टिंग पॉइंट कंसीडर किया डेकार्ट के बाद सोफी की मुलाकात दो और जबरदस्त फिलोसोफर से होती है जिनमें से एक है जॉन लॉक और दूसरा है माय फेवरेट स्पिनोज जॉन लॉक एक इंपिरियस था एंपरसोल गॉड विद नेचर्स लॉ वो कहता था कि गॉड इज इन द यूनिवर्स एंड यूनिवर्स इज इन द गॉड स्पिनोज के लिए इस कायनात में हर

चीज के अंदर जो इनर कॉज है ना उसी का नाम दरअसल खुदा है स्पिनोज के बाद सोफी की मुलाकात होती है एक और ऐसे फिलोसोफर से जो उसकी सोच को झंझोट कर रख देता है मैं बात कर रहा हूं जॉर्ज बर्कले की बर्कले ने आइडियलिज्म और इ मटेरियल जम की फिलॉसफी दुनिया को दी उसने एक अजीबो गरीब सी बात कही उसका कहना था कि ये जो फिजिकल वर्ल्ड है ना इसकी कोई एक्जिस्टेंस है ही नहीं हकीकत यानी रियलिटी का वजूद सिर्फ हमारे जहन में मौजूद है बर्कले की फिलॉसफी एक आउटरेजेस कांसेप्ट पर खड़ी हुई है जिसे कहते हैं एससी एस्ट पर्सिपी यानी कि टू बी इज टू बी पर्सीवड लेकिन आखिर इस स्टेटमेंट

का मतलब क्या है इसका अजीबो गरीब मतलब है बर्कले ये कहता था कि कोई भी चीज तब तक एजिस्ट नहीं कर सकती जब तक उसे कोई देखने या महसूस करने वाला ना हो यानी कि यह जो मेरे सामने चेयर पड़ी हुई है अगर मैं इसको ना देखूं तो इसका वजूद भी इस दुनिया में मौजूद नहीं होगा अगर मैं अभी अपनी आंखें बंद कर लूं और इस रूम में कोई और दूसरा भी इस चेयर को ना देख रहा हो तो यह चेयर इस रूम में एजिस्ट करती ही नहीं है यह थी दोस्तों जॉर्ज बर्कले की अजीबोगरीब फिलॉसफी इसके बाद सोफी मूव होती है 18वीं सदी में इन द एज ऑफ इनलाइटनमेंट और इसमें सबसे पहले मुलाकात होती है उसकी फिलोसोफर

डेविड ह्यूम से ह्यूम एक एंपरसोल बदी नजरिया यह था कि इल्म सिर्फ और सिर्फ एक्सपीरियंस और सेंसेस से हासिल होता है और अकल यानी रीजनिंग की अपनी कोई हकीकत नहीं है ह्यूम के साथ-साथ सोफी का इंट्रोडक्शन होता है एक ऐसे फिलोसोफर से जो फ्रेडरिक नीचा के बाद मेरा सबसे फेवरेट फिलोसोफर है मैं बात कर रहा हूं द ग्रेट इमानुएल कांट की कांट का फलसफा भी आउट ऑफ दिस वर्ल्ड है और उसकी किताब क्रिटीक ऑफ प्योर रीजन इज एन एब्सलूट क्लासिक कांट ने टाइम और स्पेस को एक्सटर्नल की बजाय हमारी माइंड की फैकल्टीज में बदल दिया उसने हमारी दुनिया को दो हिस्सों में डिवाइड कर

दिया एक था वर्ल्ड ऑफ नॉमिना और दूसरा द वर्ल्ड ऑफ फिनोमिना कांट कहता था कि इस दुनिया में जो भी चीजें है ना थिंग इन देम सेल्व दे एक्चुअली एजिस्ट इन द वर्ल्ड ऑफ नॉमिना और ये वो वर्ल्ड है जहां पर ह्यूमन सेंसेस कभी पहुंच नहीं सकती और इस दुनिया में जो भी चीजें हमें अपनी नजरों के सामने नजर आती हैं दे एजिस्ट इन द वर्ल्ड ऑफ फिनोमिना कांट ने ह्यूमन रीजन की लिमिट्स को एक्सप्लोर किया और बिल आखिर यह नतीजा निकाला कि मेटाफिन आइडियाज के ऊपर आप ह्यूमन रीजनिंग को अप्लाई नहीं कर सकते कांड के बाद बढ़ते हैं 19th सेंचुरी के रोमांटिसिजम की तरफ और इसमें हमारी सबसे

पहले मुलाकात होगी द ग्रेट गगल से गगल का ये कहना था कि इस दुनिया में कोई भी ऑब्जेक्टिव ट्रुथ नहीं होता यानी कि हर शख्स के लिए सच्चाई मुख्तलिफ होती है हेकल की ये फिलॉसफी कां के फलसफे के बिल्कुल अपोजिट थी जो ये कहता था कि देयर आर यूनिवर्सल ट्रुथ इन द वर्ल्ड गगल ने डायलेक्टिकल प्रोसेस को पॉपुलर इज किया जिसमें उसने थीसिस एंटी थीसिस और सिंथेसिस की बात की थीसिस में किसी भी ख्याल या नजरिए को पेश किया जाता है एंटी थीसिस एक ऐसा नजरिया होता है जो इस थीसिस के खिलाफ होता है और सिंथेसिस में दोनों नजरिया को मिलाकर एक नया और बेहतर नजरिया तश्न किया

जाता है गगल कहता था कि यह दुनिया इसी डायलेक्टिकल प्रोसेस के जरिए तरक्की करती है पहले थीसिस होता है फिर एंटी थीसिस और सिंथेसिस और इसी तरह यह साइकिल आगे मूव करती रहती है गगल के बाद बात करते हैं अबाउट वन ऑफ माय फेवरेट फिलॉसफी यानी कि एजिस्ट एशियल ज्म मैं खुद भी एक एजिस्ट एशियल एजिस्ट एशियल ज्म में सोफी की सबसे पहले मुलाकात होती है सौरन केके गार्ड से केके गार्ड और साट जैसे जो फिलोसोफर हैं इन्हें एक्जिस्टेंशलिस्ट कहा जाता है एसिस्टेंजा है ना दोस्तों वो जिंदगी के मकसद उसके पर्पस उसकी आजादी के बारे में बात करती है यह फिलॉसफी यह कहती है कि जिंदगी का पहले

से कोई भी प्री डिटरमिन मकसद नहीं है कोई भी ऐसी डिवाइन एंटिटी नहीं है जिसने आपको यह बताया हुआ है कि आपने जिंदगी में क्या करना है लाइफ में आपके साथ जो कुछ भी होगा वह आपने खुद डिसाइड करना होता है यू हैव चॉइस टू डिसाइड व्हाट यू वांट टू बी इन लाइफ इसके लिए साट ने कमाल का एक्सप्रेशन यूज़ किया एक्जिस्टेंस प्रोसीड्स एसेंस यानी कि इंसान का वजूद पहले है और उसकी शनातन दोस्तों क्या आप जानते हैं कि मैं क्यों एक एजिस्ट मेंशियस हूं और क्यों मुझे यह फिलॉसफी पसंद है आई हैव ऑलवेज बीन अ बिलीवर इन फ्रीविल मेरा इस बात पर भरपूर यकीन है कि इंसान अपनी जिंदगी की

ड्राइविंग सीट पर होता है और उसके साथ जिंदगी में वही होता है जो वह चाहता है जिसके लिए वह एफर्ट करता है एसिस्टेंजा है दैट यू आर इन कंट्रोल ऑफ योर लाइफ आपकी चॉइसेज ही आपकी जिंदगी को बनाती है राद देन एनी डिवाइन फोर्स इसी तरह बिल आखिर सोफी की यह फिलोसॉफिकल जर्नी इतम होती है लेकिन दोस्तों इसमें एक ट्विस्ट है क्या सोफी और उसके टीचर अल्बर्टो नॉक्स रियलिटी में मौजूद हैं या नहीं या वह सिर्फ इस स्टोरी के कैरेक्टर्स हैं यह बात जानने के लिए आपको यह किताब पढ़नी पड़ेगी लेकिन यह बात तो तय है कि अगर आप फिलॉसफी में बिगनर है ना तो फिर

आपने यह बुक सोफीज वर्ल्ड जरूर पढ़नी है दोस्तों आखिर में ना मैं आपसे एक सवाल करना चाहता हूं और इस सवाल का ताल्लुक सक्रेटीज की उस स्टेटमेंट से है एन अन एग्जामिन लाइफ इज नॉट वर्थ लिविंग सवाल यह है कि क्या आपने कभी अपनी जिंदगी के मकसद के बारे में इसके ऑब्जेक्टिव के बारे में इसके पर्पस के बारे में सोचा है और अगर नहीं सोचा तो क्यों नहीं सोचा और अगर सोचा है तो आपको क्या लगता है कि आप इस दुनिया में क्यों पैदा हुए हैं देखिए मेरा इसमें एक ही पर्सपेक्टिव है कि अगर आपकी लाइफ के अंदर कोई भी स्ट्रगल कोई भी जुस्तजू कोई भी एंकर नहीं है ना तो फिर ऐसी जिंदगी का

कोई भी मजा नहीं है और अगर आप वाकई में अपनी जिंदगी के पर्पस को समझना चाहते हैं हासिल करना चाहते हैं तो फिलॉसफी एक ऐसा डिसिप्लिन है जो आपको आपकी जिंदगी के मकसद तक पहुंचने में मदद दे सकता है फॉर मी इट इज द बेस्ट डिसिप्लिन ऑफ स्टडी लिहाजा फिलॉसफी जरूर पढ़ा कीजिए मेरा यह चैनल फिलॉसफी की भूख को मिटाने में आपकी बहुत मदद कर सकता है लिहाजा इसको सब्सक्राइब जरूर कीजिएगा वीडियो पसंद आई हो तो लाइक बटन भी प्रेस कीजिएगा अटिल नेक्स्ट टाइम गुड बाय

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